गजब है…डीएमओ को पता ही नहीं
जिला विपणन अधिकारी विनोद उपाध्याय को इस धान के बारे में कुछ नहीं पता। जब उनसे पूछा गया कि धान कितना रखा है, क्यों रखा है, कितना खराब हुआ तो उनका जवाब था कि वेयर हाउस प्रबंधक से बात कर लीजिए, वे बता देंगे।
जिला विपणन अधिकारी विनोद उपाध्याय को इस धान के बारे में कुछ नहीं पता। जब उनसे पूछा गया कि धान कितना रखा है, क्यों रखा है, कितना खराब हुआ तो उनका जवाब था कि वेयर हाउस प्रबंधक से बात कर लीजिए, वे बता देंगे।
प्रबंधक बोले 400 टन हुआ खराब
वेयर हाउस कार्पोरेशन के प्रबंधक एसआर निबोदा कहते हैं कि यह धान दो साल पहले की है। कैप में रखी गई थी, कैप में तीन माह तक ही रखने के निर्देश हैं, मिलर को ये धान डीएमओ के माध्यम से दी जाना थी, लेकिन मिलर ही नहीं आए तो रखे रखे खराब हो गई। कैप में करीब 900 टन धान रखा था, जिसमें से पिछले दिनों पता कराया था तो करीब 400 टन धान खराब हुआ है। अब पॉलीथिन ढंकवा देंगे।
वेयर हाउस कार्पोरेशन के प्रबंधक एसआर निबोदा कहते हैं कि यह धान दो साल पहले की है। कैप में रखी गई थी, कैप में तीन माह तक ही रखने के निर्देश हैं, मिलर को ये धान डीएमओ के माध्यम से दी जाना थी, लेकिन मिलर ही नहीं आए तो रखे रखे खराब हो गई। कैप में करीब 900 टन धान रखा था, जिसमें से पिछले दिनों पता कराया था तो करीब 400 टन धान खराब हुआ है। अब पॉलीथिन ढंकवा देंगे।
इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन ?
जिले में बासौदा और विदिशा के कैप में रखे इस धान की खराबी का जिम्मेदार कौन है? शासन के खजाने से खरीदी गई करीब 1 करोड़ रुपए की इस धान को अब जानवर भी नहीं खा सकते। तीन माह के लिए कैप में रखा जाना था, लेकिन दो साल तक रखे रखा गया। मिलर को बेचने के सार्थक प्रयास नहींं हुए, इसकी जिम्मेदारी तो तय होना चाहिए और दोषियों से इसकी वसूली की जाना चाहिए।
जिले में बासौदा और विदिशा के कैप में रखे इस धान की खराबी का जिम्मेदार कौन है? शासन के खजाने से खरीदी गई करीब 1 करोड़ रुपए की इस धान को अब जानवर भी नहीं खा सकते। तीन माह के लिए कैप में रखा जाना था, लेकिन दो साल तक रखे रखा गया। मिलर को बेचने के सार्थक प्रयास नहींं हुए, इसकी जिम्मेदारी तो तय होना चाहिए और दोषियों से इसकी वसूली की जाना चाहिए।