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आंधी चली तो सामने आई सड़ चुकी हजारों टन धान की तस्वीर

locationविदिशाPublished: May 16, 2021 09:18:32 pm

Submitted by:

govind saxena

ढाई साल में रखे रखे सड़ा दी समर्थन पर खरीदी धान

आंधी चली तो सामने आई सड़ चुकी हजारों टन धान की तस्वीर

आंधी चली तो सामने आई सड़ चुकी हजारों टन धान की तस्वीर

विदिशा. प्रशासनिक उदासीनता के चलते किसानों से खरीदे गए धान और गेहूं की ये हालत कर दी जाती है कि उसको मवेशियों को खिलाना भी मुमकिन नहीं होता। हर साल हजारों क्विंटल गेंहू और धान का यही हश्र होता है। इस बार भी यही हुआ है। वर्ष 2019-20 में खरीदा गया 900 टन धान मात्र तीन माह के लिए कैप में रखा गया था। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण ये धान मिलों को नहीं भेजा जा सका और तीन माह की जगह धान खुले कैप में ही करीब 2 साल से रखा है। बारिश, पानी सब झेलते इस केवल पॉलीथिन से ढंके सैंकड़ों टन धान का पर्दा जब रविवार को आई आंंधी में खुला तो हकीकत सामने आई। यहां रखा करीब 500 टन धान पूरी तरह खराब हो चुका है। पूरी तरह सड़ चुका है। बताया जाता है कि ये धान जिला विपणन अधिकारी के माध्यम से मिलर को बेचा जाना था, लेकिन नहीं बिका और रखे रखे ही करीब एक करोड़ रुपए का नुकसान हो गया। अब इसे ठिकाने लगाने के लिए भी सरकारी पैसा खर्च करना पड़ेगा।
गजब है…डीएमओ को पता ही नहीं
जिला विपणन अधिकारी विनोद उपाध्याय को इस धान के बारे में कुछ नहीं पता। जब उनसे पूछा गया कि धान कितना रखा है, क्यों रखा है, कितना खराब हुआ तो उनका जवाब था कि वेयर हाउस प्रबंधक से बात कर लीजिए, वे बता देंगे।
प्रबंधक बोले 400 टन हुआ खराब
वेयर हाउस कार्पोरेशन के प्रबंधक एसआर निबोदा कहते हैं कि यह धान दो साल पहले की है। कैप में रखी गई थी, कैप में तीन माह तक ही रखने के निर्देश हैं, मिलर को ये धान डीएमओ के माध्यम से दी जाना थी, लेकिन मिलर ही नहीं आए तो रखे रखे खराब हो गई। कैप में करीब 900 टन धान रखा था, जिसमें से पिछले दिनों पता कराया था तो करीब 400 टन धान खराब हुआ है। अब पॉलीथिन ढंकवा देंगे।
इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन ?
जिले में बासौदा और विदिशा के कैप में रखे इस धान की खराबी का जिम्मेदार कौन है? शासन के खजाने से खरीदी गई करीब 1 करोड़ रुपए की इस धान को अब जानवर भी नहीं खा सकते। तीन माह के लिए कैप में रखा जाना था, लेकिन दो साल तक रखे रखा गया। मिलर को बेचने के सार्थक प्रयास नहींं हुए, इसकी जिम्मेदारी तो तय होना चाहिए और दोषियों से इसकी वसूली की जाना चाहिए।
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