scriptगांव के पांव- आज ही के दिन इस गांव में आए थे राष्ट्रपति, नाश्ते में परोसे थे सीताफल | President Dr. Rajendra Prasad came to village on this day 64 years ago | Patrika News

गांव के पांव- आज ही के दिन इस गांव में आए थे राष्ट्रपति, नाश्ते में परोसे थे सीताफल

locationविदिशाPublished: Sep 16, 2020 08:29:35 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

64 साल पहले 17 सितंबर को ही राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद और जीवाजीराव सिंधिया आए थे गांव, शालभंजिका से मिली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान…

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विदिशा. उस समय के भी अधिकांश लोगों को याद नहीं होगा कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद और जीवाजीराव सिंधिया ठीक 64 वर्ष पहले आज ही के दिन 17 सितंबर को उस समय के छोटे से गांव ग्यारसपुर आए थे। यहां तत्कालीन तरफदार हरिसिंह रघुवंशी ने उनका स्वागत किया था और भेंट के रूप में उन्हें एक सांभर का बच्चा दिया था। नायाब शिल्प की प्रतीक शालभंजिका और प्रकृति तथा कला के अनुपम संगम मालादेवी के मंदिर के कारण ख्यातिप्राप्त ग्यारसपुर अब भी पुराधरोहर और पर्यटन का अद्भुद स्थान है।

 

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आज ही के दिन आए थे राष्ट्रपति और जीवाजीराव सिंधिया

ग्यारसपुर पंचायत के सरपंच पद पर 27 वर्ष तक गजेन्द्र सिंह रघुवंशी तथा 5 वर्ष तक उनकी पत्नी सुनीला देवी काबिज रहीं। उनकी पुत्रवधु निशा स्वदीप रघुवंशी अब जनपद सदस्य हैं। पूर्वसरपंच गजेन्द्र सिंह बताते हैं कि ग्वालियर रियासत से ही मेरे पिता हरिसिंह रघुवंशी को तरफदार की उपाधि मिली थी और उन्हें रहने के लिए गौंड राजाओं का किला दिया गया था। 1956 में तरफदार हरिसिंह रघुवंशी के प्रयासों और बाबू तख्तमल जैन के प्रयासों से देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और जीवाजीराव सिंधिया ग्यारसपुर का मालादेवी मंदिर देखने आए थे। उस समय मंदिर जाने के लिए कोई ठीक सा रास्ता भी नही था तो चार दिन पहले ही बुल्डोजर से एक किमी. का कच्चा रास्ता बनाया गया था। राष्ट्रपति का यहां 20 मिनट समय निर्धारित था, लेकिन यहां का सौंदर्य देखकर वे करीब सवा घंटा यहां रुके थे।

 

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नाश्ते में परोसे थे सीताफल और शकरकंद
उस समय डॉ राजेंद्र प्रसाद और जीवाजीराव सिंधिया का हरिसिंह रघुवंशी ने उनका स्वागत किया था। डॉ राजेंद्र प्रसाद को उस समय शकरकंद, सीताफल और पीढ़े नाश्ते में परोसे गए थे। वे यहां से देशी गाय का घी और शहद भी ले गए थे। उन्होंने इस दौरान यह कहा था कि राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है जब मैं किसी छोटे गांव में आया हूं।

स्कूल के लिए किया था चंदा

पूर्व सरपंच गजेद्र सिंह बताते हैं कि ग्यारसपुर का हायरसेकंडरी स्कूल 1960 में खुला था। तत्कालीन शिक्षामंत्री डॉ शंकरदयाल शर्मा से तरफदार हरिसिंह ने इसकी मांग की थी तो उहोंने कहा था कि इसके लिए 10 हजार रूपए की राशि एकत्रित करो, लेकिन इसमें किसी एक का नहीं, हर गांव वाले का सहयोग होना चाहिए। इसलिए चंदा हुआ और लोगों ने अपनी क्षमता के अनुरूप 2-4 आने भी दान दिए थे। बाद में यहां विकास कार्य बढ़ते गए और अब यह तहसील मुख्यालय भी है।

इसलिए प्रसिद्ध है ग्यारसपुर
-विश्व प्रसिद्ध शिल्प का नमूना शाल भंजिका यहीं मिली थी, जो अब वालियर के संग्रहालय में सुरक्षित है।
-पहाड़ी को काटकर किनारे पर बनाया गया मालादेवी का प्रसिद्ध मंदिर।
-राजा मानसिंह द्वारा बनाया गया मानसरोवर।
-संत तारास्वामी की तपोभूमि।
-विशाल मंदिर के अवशेष के रूप में मौजूद हिंडोला तोरणद्वार।

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