आसपास के जिलों से भी मांगी थी जमीन
वनभूमि के बदले तहसील बासौदा, लटेरी और कुरवाई में वन विभाग को हस्तांतरण के लिए राजस्व की भूमि न होना बताया गया। इसके बाद जिले में भूमि न होने से नजदीक के जिलों रायसेन, भोपाल, राजगढ़, सागर, अशोकनगर और गुना के कलेक्टर को 2005 में पत्र लिखे गए थे, लेकिन इसका भी कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है।
वनभूमि के बदले तहसील बासौदा, लटेरी और कुरवाई में वन विभाग को हस्तांतरण के लिए राजस्व की भूमि न होना बताया गया। इसके बाद जिले में भूमि न होने से नजदीक के जिलों रायसेन, भोपाल, राजगढ़, सागर, अशोकनगर और गुना के कलेक्टर को 2005 में पत्र लिखे गए थे, लेकिन इसका भी कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है।
1980 के पहले थीं यहां 63 वैध खदानें
सरकारी दस्तावेज कहते हैं कि 1980 के पहले यहां 63 खदानें स्वीकृत होकर क्रियाशील थीं जो बाद में वन संरक्षण अधिनियम 1980 के लागू हो जाने के कारण बंद कराई गई थीं। लेकिन हकीकत यह है कि कागजों में वैध खदानें तो वन भूमि पर खत्म हो गईं, लेकिन यहां के पत्थर के लालच में खनन से जुड़े लोगों ने अपना कारोबार बंद नहीं किया और जो काम पहले वैध होता था वह 1980 के बाद से अवैध तरीके से चलने लगा।
सरकारी दस्तावेज कहते हैं कि 1980 के पहले यहां 63 खदानें स्वीकृत होकर क्रियाशील थीं जो बाद में वन संरक्षण अधिनियम 1980 के लागू हो जाने के कारण बंद कराई गई थीं। लेकिन हकीकत यह है कि कागजों में वैध खदानें तो वन भूमि पर खत्म हो गईं, लेकिन यहां के पत्थर के लालच में खनन से जुड़े लोगों ने अपना कारोबार बंद नहीं किया और जो काम पहले वैध होता था वह 1980 के बाद से अवैध तरीके से चलने लगा।
डीएफओ पहुंचे क्षेत्र में
डीएफओ राजवीर सिंह ने बताया कि शनिवार को वे उदयपुर क्षेत्र में पहुंचे थे, लेकिन पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद पत्थर कारोबारी मौके से भाग चुके हैं। डीएफओ ने भिलायं चौकी में अपने स्टॉफ की बैठक ली और पत्थर खनन पर अपनी रणनीति से अवगत कराया। डीएफओ ने बताया कि स्टॉफ से क्षेत्र की साप्ताहिक रिपोर्ट देने के साथ ही नकेल कसने के तरीकों पर भी बात हुई है। जल्दी ही कार्रवाई होगी।
डीएफओ राजवीर सिंह ने बताया कि शनिवार को वे उदयपुर क्षेत्र में पहुंचे थे, लेकिन पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद पत्थर कारोबारी मौके से भाग चुके हैं। डीएफओ ने भिलायं चौकी में अपने स्टॉफ की बैठक ली और पत्थर खनन पर अपनी रणनीति से अवगत कराया। डीएफओ ने बताया कि स्टॉफ से क्षेत्र की साप्ताहिक रिपोर्ट देने के साथ ही नकेल कसने के तरीकों पर भी बात हुई है। जल्दी ही कार्रवाई होगी।
बेहतर है कि खदानें वैध हो जाएं-कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर डॉ. पंकज जैन कहते हैं कि खदानें नियमित हो सकें उसके लिए वन भूमि को राजस्व भूमि में अंतरित करना आवश्यक है। कई वर्ष पूर्व प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अब फिर इसका रिमांइडर भेज रहे हैं। अवैध कारोबार से तो बेहतर है कि खदानों को वैध कर उन्हें बेहतर तरीके से संचालित किया जाए। इससे लोगों के रोजगार की समस्या भी नहीं रहेगी और शासन को राजस्व भी मिलेगा। लेकिन वन भूमि के बदले 849 हैक्टेयर राजस्व जमीन देना मुश्किल काम है। इतनी जमीन उपलब्ध ही नहीं है।