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जनसुनवाई से जनता का हुआ मोह भंग, मात्र तीन आवेदक पहुंचे

locationविदिशाPublished: Dec 04, 2019 12:13:25 pm

Submitted by:

Anil kumar soni

जिम्मेदार अधिकारी भी जनसुनवाई में रहे नदारद

ग्यारसपुर। इस तरह जनसुनवाई में अधिकारियों की कुर्सियां रहीं खाली।

ग्यारसपुर। इस तरह जनसुनवाई में अधिकारियों की कुर्सियां रहीं खाली।

ग्यारसपुर। ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा जनसुनवाई में नहीं पहुंचने और आवेदकों का समय पर निराकरण नहीं किए जाने के कारण यहां प्रति मंगलवार को आयोजित होने वाली जनसुनवाई से लोगों का मोहभंग होता जा रहा है। जिसके चलते यहां होने वाली जनसुनवाई में प्रति मंगलवार आवेदकों की संख्या कम होती जा रही है। इसी कड़ी में इस मंगलवार को जनसुनवाई कक्ष में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नजर नहीं आया और आवेदक भी मात्र तीन ही पहुंचे।

जनसुनवाई कक्ष में सुबह से अधिकारियों की कुर्सियां खाली नजर आईं। एसडीएम, तहसीलदार या जपं सीईओ जैसे कोई जिम्मेदार अधिकारी यहां नजर नहीं आए। वहीं मात्र तीन आवेदक पहुंचे, वे भी अधिकारियों का घंटों इंतजार करते नजर आए। इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो सकी।

 

मजदूर संघ ब्लॉक अध्यक्ष रघुवीर सिंह सिसोदिया ने जनसुनवाई में दिए आवेदन में बताया कि ग्यारसपुर के बसस्टैंड क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। इसलिए यहां पानी की टंकी के निर्माण की मांग की गई। जिससे पानी की समस्या से निजात मिल सके। वहीं जनसुनवाई में पहुंचे प्रजापति समाज के लोगों ने आवेदन दिया और कहा कि मिट्टी के सामान आदि बनाने के लिए वे जंगल से मिट्टी की खदानों से मिट्टी लेने जाते हैं, तो वन विभाग अमला उन्हें परेशान करता है।

 

इसलिए वन विभाग को निर्देशित कर मिट्टी वहां से लाने की इजाजत दी जाए। ग्राम बंजरिया से आईं विनीपानी ने आवेदन देते हुए बताया कि शासन की योजना के तहत उनका ऋण स्वीकृत हो चुका है, लेकिन एक बैंक प्रबंधक उन्हें ऋण देने में आनाकानी कर रहे हैं, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान है। बताया गया कि एसडीएम अवकाश पर हैं। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि जब भी एसडीएम अवकाश पर होते हैं, तो यहां की जनसुनवाई से अन्य अधिकारी भी नदारद हो जाते हैं।

जिला मुख्यालय का कर रहे रूख
यहां होने वाली जनसुनवाई में लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाने के कारण क्षेत्र के पीडि़त अब जिला मुख्यालय पर होने वाली जनसुनवाई का रूख करने लगे हैं, क्योंकि वहां कलेक्टर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के बैठने के कारण समस्या का कुछ न कुछ तो निराकरण हो ही जाता है।

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