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Radha Ashtami 2020 : राधा से मिलाने कृष्णजी को साथ लाईं उमा भारती, पत्रिका में मिली थी प्राचीन मंदिर की जानकारी

locationविदिशाPublished: Aug 26, 2020 10:03:10 am

Submitted by:

Manish Gite

विदिशा के राधा मंदिर में गोपाल को राधा रानी से मिलाने विदिशा के मंदिर पहुंची उमा भारती…। इस बार बरसाना नहीं जा सकी थीं…।

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गोविंद सक्सेना की रिपोर्ट

विदिशा। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बुधवार सुबह 6 बजे राधा रानी मंदिर में दर्शन किए। यह मंदिर साल में सिर्फ राधा अष्टमी के मौके पर ही खुलता है। उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की और मंदिर के पुजारी से इस मंदिर के बारे में चर्चा की। वे पहली बार इस मंदिर में आई थी। उमा भारती ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि वे यहां पत्रिका की खबर पढ़कर आई हैं, उन्हें पहले नहीं पता था कि यहां राधाजी का इतना सुंदर और प्राचीन मंदिर है।

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अपने साथ लाईं थीं कान्हा की मूर्ति :-:

उमा भारती अपने साथ कृष्णजी की मूर्ति भी साथ लाई थीं। उन्होंने मंदिर में राधाजी के समीप ही कृष्णजी की प्रतिमा रखकर पूजा-अर्चना की। उन्होंने बताया कि वे आज राधा अष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण को राधा जी से मिलाने लाई हैं। 1 घंटे तक मंदिर में उन्होंने बधाई गीत गाए, राधा और कृष्ण का एक साथ दर्शन करने के बाद उन्होंने आरती की।

 

रात को ही पहुंच गई थीं उमा :-:

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती मंगलवार को ही विदिशा पहुंच गई थीं। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्थापित किए गए बाढ़ वाले गणेश मंदिर में भी पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने हनुमान मंदिर में भी दर्शन कर संतों से चर्चा की।

 

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महामारी से मुक्ति की प्रार्थना:-:

मीडिया से चर्चा के दौरान उमा भारती ने कहा कि वे हर साल वे हर साल बरसाना जाकर राधारानी के दर्शन करती थीं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते उन्हें बरसाना पहुंचने में दिक्कत है। तभी पत्रिका में देखकर पता चला कि विदिशा में भी राधारानी का मंदिर है। जो बरसाने के बाद दूसरा राधारानी का मंदिर है। तब विदिशा आने का मन बना लिया। उमा भारती ने बताया कि उन्होंने भगवान से प्रार्थना की है कि दुनिया से कोरोना महामारी जल्द से जल्द खत्म हो। उन्होंने मां गंगा के लिए किए जा रहे कार्य में सफलता के लिए भी प्रार्थना की।

साढ़े तीन सौ साल से विदिशा में गुप्त वास है राधा जी का :-:

बचाकर करीब 20 वर्षों में विदिशा आप आई राधा रानी की निधियों कि आज भी विदिशा के नंदवाना में गुप्त सेवा होती है। राधा जी के मंदिर में साल भर केवल मंदिर सेवा में लगा परिवार ही उनकी सेवा श्रृंगार और भोग के साथ पद गायन करता है। आम दर्शनार्थी राधा जी के दरबार में नहीं पहुंच पाते और ना ही उन्हें राधा जी के दर्शन हो पाते हैं। वर्ष में केवल राधा अष्टमी के दिन ही राधा रानी का दरबार खुलता है और उनके भक्त राधे राधे की गूंज के साथ राधा रानी के दर्शन करते हैं।

मंदिर के सेवक मनमोहन शर्मा बताते हैं कि उनके पूर्वज करीब 350 वर्ष पूर्व वृंदावन और बरसाने से राधा जी कि निधियों को मुगल सम्राट औरंगजेब के आतंक से बचाकर वहां से निकल पड़े थे कोई दिशा नहीं थी कि कहां जाना है लेकिन फिर करीब 20 वर्ष के सफर के बाद विदिशा में इसी स्थान पर एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर उसमें राधा रानी की पवित्र निधियों को रखा गया था उस समय मंदिरों और पूजा पर संकट था इसलिए राधा रानी की सेवा भी छिपकर गुप्त रूप से की जाने लगी यही परंपरा आज भी कायम है लेकिन राधा रानी की भक्तों को दर्शन देने के लिए राधा अष्टमी पर 1 दिन के लिए उनका दरबार खोला जाता है जो आज 26 अगस्त को खुला हुआ है।

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राधा जी के दरबार में उनके जन्म उत्सव पर आज राधा रानी की मोहक प्रतिमा को हीरा पन्ना सोना और माणिक के जीव रातों से खूब सजाया गया है सुबह मंगल आरती हुई और फिर दोपहर 12:00 बजे जन्म आरती का आयोजन होगा राधा रानी की छठी भी होगी और दस्टोन उत्सव भी मनाया जाएगा। खूब बधाई गाई जाएंगी और मटकी 6 दिन उत्सव भी मनेगा।

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