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रामलीला का 119वां वर्ष: शिव धनुष टूटने के बाद आज निकलेगी राम बारात

locationविदिशाPublished: Jan 21, 2020 04:07:43 pm

नगर में 40 वर्ष पहले शुरू हुई थी राम बारात Ram barat , उत्साह ऐसा था कि दूर-दूर से ट्रॉलियों से पहुंचे थे हजारों लोग…

ram barat

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विदिशा। ऐतिहासिक रामलीलाramlila का यह 119 वां वर्ष चल रहा है और सोमवार को शिव धनुष टूटने के साथ ही सीता स्वयंवर और लक्ष्मण-परशुराम संवाद की लीला का दर्शन हुआ। मंगलवार की शाम माधवगंज से राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की भव्य बारात ram barat निकाली जाएगी।
हजारों लोग हुए थे पहली बारात में शामिल
रामलीला समिति के प्रधान संचालक पं. चंद्रकिशोर मिश्र और डॉ सुधांशु बताते हैं कि रामलीला की शुरुआत से ही 1901 से राम बारात शुरू हुई थी, लेकिन तब यह नगर में नहीं निकाली जाती थी।
रामलीला परिसर में ही बारात फेरा लगाती थी। तब घोड़ों का भी नहीं बल्कि रथ में रामादि भाइयों को दूल्हे के वेष में निकाला जाता था। लेकिन 1980 में पहली बार नगर में माधवगंज से राम बारात का आयोजन शुरू किया गया।
नगर से निकाली जाने वाली बारात में पहली बार राम बने कृष्ण कुमार भार्गव(सुशील)अब भी पूरी तरह रामलीला को समर्पित हैं। वे बताते हैं कि पहली बार नगर में निकाली जाने वाली राम बारात के लिए गांव-गांव में पर्चे बांटकर प्रचार किया गया था।
पहली बार ऐसा आयोजन हो रहा था। इसलिए लोगों में जबर्दस्त उत्साह था। जब राम बारात निकली तो दूर-दूर से ट्रॉलियों में भर-भरकर लोग आए और बारात में शामिल हुए। लोग जगह-जगह पुष्पवर्षा कर रहे थे। भले ही अब साधन ज्यादा हो गए हैं, लेकिन वैसा माहौल अब नहीं बचा।
जयप्रकाश मंच पर हुआ था सीता स्वयंवर
अब परशुराम का अभिनय करने वाले डॉ अनिल बताते हंैं कि 1981 में सीता स्वयंवर के दिन सुबह शहर में खूब बारिश हुईथी, जिससे रामलीला मैदान दलदल में तब्दील हो गया था।
संकट था कि ऐसे में सीता स्वयंवर कैसे हो? विकल्प निकाला गया, जयप्रकाश मंच पर तैयारी की गईऔर रामलीला के इतिहास में पहली बार परिसर से बाहर किसी लीला का दर्शन किया गया। जयप्रकाश मंच पर ही धनुष यज्ञ हुआ, सीता स्वयंवर हुआ और वहीं लक्ष्मण-परशुराम संवाद।
48 वर्ष तक चाचा और अब उनके भतीजे बन रहे परशुराम
वि दिशा की रामलीला कई परिवारों से पीढिय़ों से जुड़ी हुई है। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों के किरदार को निभाते आ रहे हैं और यह क्रम निरंतर जारी है। शिव धनुष टूटने के बाद होने वाले लक्ष्मण-परशुराम संवाद में परशुराम का किरदार भी ऐसा ही है।
शुरुआत में रामलीला के द्वितीय प्रधान संचालक पं. चंद्रशेखर शास्त्री ने यह किरदार निभाया, उनके बाद तृतीय प्रधानसंचालक पं. चंद्रमौलि शास्त्री यह किरदार निभाते रहे। बाद में करीब 48 वर्ष तक जैन कॉलेज के प्रो. एमपी शर्मा ने परशुराम का अभिनय किया। इन तीनों के न रहने पर अब प्रो. शर्मा के भतीजे डॉ. अनिल शर्मा इस किरदार को करीब 6 वर्ष से बखूबी निभा रहे हैं।

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