रामलीला शुरू हो गई यह संदेश देने शुरू कराया था गंगा दर्शन
गंगा दर्शन और शिव बारात के साथ ऐतिहासिक रामलीला मेले का शुभारंभ।

विदिशा. ऐतिहासिक रामलीला मेले का शुभारंभ 14 जनवरी से हो गया। पहले दिन सुबह भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी के स्वरूप विमान में बैठाकर रामलीला पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा गंगा दर्शन के लिए चरणतीर्थ तट पर ले जाए गए। इसके बाद शाम को शिव बारात के साथ रामलीला का आगाज किया गया और इसी के साथ रामलीला मेले की भी शुरुआत हो गई।
कोरोना संक्रमण काल के कारण इस बार रामलीला 27 दिन की जगह 12 दिन की होना है, इसलिए एक-एक दिन में दो-तीन लीलाएं की जाना है। शिव बारात भी शहर में से नहीं निकाली गई। बारात वैसे ही निकली लेकिन रामलीला परिसर के प्रमुख द्वार से ही रस्म अदायगी हुई। शिव विवाह और फिर नारद मोह, प्रतापभानु वध के साथ ही रावण जन्म की लीलाओं का प्रदर्शन भी पहले दिन ही कर दिया गया।
पहले दिन गंगा दर्शन इसलिए...
रामलीला के पहले दिन सुबह गंगा दर्शन के लिए भगवान राम की झांकी को वेत्रवती तट पर चरणतीर्थ पर ले जाने की परंपरा है। यह क्यों? इसके बारे में रामलीला से जुड़े बुजुर्ग बताते हैं कि चूंकि रामलीला 120 वर्ष पहले से चली आ रही है, यह मकर संक्रांति से ही श्ुारू होती है और संक्रांति पर वर्षों से शहर ही नहीं बल्कि दूर दराज के ग्रामों के लोग भी बड़ी संख्या में बेतवा में पर्व स्नान करने पहुंचते हैं। हजारों लोगों की उपस्थिति में राम जी की झांकी सुबह इसीलिए निकाली जाती है ताकि सबको खबर हो जाए कि विदिशा की रामलीला का शुभारंभ हो गया है। यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
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