बुलेट ने मारी थी टक्कर
जानकारी के मुताबिक विदिशा के लालपुरा इलाके में रहने वाले 78 साल के रमेश कामरेड मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले थे। वे अकेले ही विदिशा में रहते थे । वह रोज रामलीला चौराहे पर घूमने जाते थे। शुक्रवार शाम करीब 4 बजे वे रामलीला चौराहे से चाय पीकर घर लौट रहे थे, इसी दौरान तेज रफ्तार में आ रही बुलेट गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी थी। जिससे उनके सिर और गर्दन में चोट आई थी।
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इलाज के दौरान हुई थी मौत
हादसे के बाद आसपास मौजूद लोगों ने उनके दोस्त सुरेंद्र दुबे को कॉल करके बुलाया था जिनकी मदद से रमेश कामरेड को जिला चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान शुक्रवार शाम को उनकी मौत हो गई। एक्सीडेंट का मामला होने के कारण शव का पोस्टमॉर्टम होना था। रात होने के कारण शव को मर्चुरी रूम में रखवा दिया गया था जहां रातभर में ही शव को चूहों ने कुतर दिया। इस घटना पर मृतक के दोस्त सुरेन्द्र दुबे ने नाराजगी जताई है। सुरेंद्र दुबे ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है उनका कहना था कि जब हमने उन्हें जिला चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती कराया था तो उनका कोई भी अंग क्षतिग्रस्त नहीं था। लेकिन सुबह जब देखा तो चूहों ने शव की नाक और हाथ को कुतर दिया था।
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सिविल सर्जन बोले- जांच के बाद कार्रवाई
इस पूरे मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ अनूप वर्मा का कहना है कि इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है उन्होंने यह भी कहा कि मर्चुरी में चूहों के पहुंचने की संभावनाएं ना के बराबर हैं। यदि चूहों के पहुंचने और उनसे यह घटनाक्रम हुआ है तो यह जांच का विषय है। जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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