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विदिशा

यहां है रावण का गांव, हर परिवार के इष्ट हैं रावण बाबा, विशेष पूजा देती है मनचाहा वरदान

मान्यता है कि सच्चे मन और विधि-विधान से की गई पूजा से खुश होकर रावण महाराज भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। जानें रावण महाराज की आस्था की कहानी

विदिशाSep 30, 2017 / 03:53 pm

sanjana kumar

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विदिशा। विदिशा के नटेरन से ६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है रावण का गांव। यहां रावण महाराज का मंदिर भक्तों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। हर साल विजयादशमीं के अवसर पर रावण महाराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। आज दशहरा पर्व के अवसर पर यहां रावण महाराज की विशेष पूजा अर्चना की गई, जो दिनभर जारी रहेगी। मान्यता है कि सच्चे मन और विधि-विधान से की गई पूजा से खुश होकर रावण महाराज भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। आप भी जानें रावण गांव के रावण महाराज की आस्था की कहानी…

रात्रि में होगी कीर्तन बा रात्रि जागरण

हर साल की तरह इस साल भी यहां रावण मंदिर में रावण बाबा की विशेष पूजा-अर्चना की गई। दिन भर से जारी इस पूजा कार्यक्रम के बाद रात में जागरण कार्यक्रम में भक्त भजन-कीर्तन में भाग लेंगे।

शयन अवस्था में है प्रतिमा

रावण गांव के इस रावण मंदिर में रावण महाराज की प्रतिमा शयन अवस्था में है। इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण भी रावण की प्रतिमा की यही अवस्था है।

मंगल कार्यों में सबसे पहले रावण की पूजा

रावण महाराज की आस्था और श्रद्धा काआलम यह है कि इस गांव में किसी भी परिवार में कोई भी मांगलिक विवाह या अन्य धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में सबसे पहले रावण महाराज की ही पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान से किए जाने का चलन है। इस विशेष पूजा-अर्चना के बाद ही मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत की जाती है।

मुश्किल में भी रावण बाबा देते हैं साथ

रावण बाबा मांगलिक कार्यों में ही नहीं बल्कि छोटे-मोटे दुखों में भी भक्तों का सहारा बनते हैं। उनकी उम्मीद बांधते ओर दुखों को कम करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि जब भी कोई परेशानी आती है तब ग्रामीण रावण बाबा को भजते है। उनकी मान्यता है कि ऐसा करने से रावण बाबा उनकी परेशानियों को जल्द ही हर लेते हैं। मुश्किलों को दूर कर देते हैं।

ये भी जानें

* आपको जानकर हैरानी होगी इस गांव का नाम ही रावण नहीं है या रावण मंदिर तक ही लोगों की श्रद्धा सीमित नहीं है, बल्कि इस ग्राम के ट्रेक्टरों, मोटर साईकिलों या अन्य छोटे बड़े वाहनों पर कोई स्लोगन या मस्का नहीं बल्कि लंकेश लिखा होता है, जो रावण के कई नामों से एक नाम है।

* हर कार्य में सर्वप्रथम पूजे जाने वाले रावण की पूजा के दौरान नावी में तेल लगाया गया। इस पूजा विधि के पीछे मान्यता है कि नाबि में तेल लगाकर पूजा करके ग्रामीण गांव की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।

* गांव के गणमान्य नागरिक शिवदयाल शर्मा, ओमप्रकाश तिवारी, भूरा तिवारी, बालमुकंद तिवारी आदि बताते हैं कि दशहरे के पावन अवसर पर हर साल सबसे पहले रावण महाराज का सिंगार किया जाता है। उसके बाद यहां दिन भर पूजा-अर्चना जारी रहती है।

* इस ग्राम के ज्यादातर ग्रामीण विदिशा व अन्य शहरों में निवास करते हैं, वे भी दशहरा पर्व पर ग्राम रावण में इष्ट देवता रावण बाबा को पूजने साल में एक बार यहां जरूर आते हैं।

* वहीं दूर-दराज से भक्तगण भी रावण बाबा के दर्शन करने यहां आते है।

यहां होगा रावण दहन

विदिशा के नटेरन में स्थित इस गांव में रावण की पूजा-अर्चना होगी, लेकिन जिले में लगभग सभी जगह रावण दहन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। दशहरा मैदानों के अलावा शहर के की कई कॉलोनियों में दहन के लिए रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले खड़े किए जा चुके हैं। पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 29 सितंबर रात 11:49 बजे से 1 अक्टूबर रात 1:35 बजे तक रहेगी।

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