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कोरोना पर भारी भाई-बहन का प्यार, चार दिन में हुआ पूरे सावन का व्यापार

locationविदिशाPublished: Aug 02, 2020 06:26:10 pm

Submitted by:

govind saxena

इस बार देशी राखियों से सजेगी भाई की कलाई

कोरोना पर भारी भाई-बहन का प्यार, चार दिन में हुआ पूरे सावन का व्यापार

कोरोना पर भारी भाई-बहन का प्यार, चार दिन में हुआ पूरे सावन का व्यापार

विदिशा. कोरोना संक्रमण काल के दौरान पडऩे वाले रक्षाबंधन त्योहार पर भले ही ज्यादातर बहनें अपने भाईयों के घर नहीं आ पाईं हों, लेकिन उत्साह हमेशा की तरह है। बहनों ने भाई की रक्षा के लिए बांधा जाने वाले रक्षासूत्र की जगह कह भेजा है कि बहन की याद कर अपनी कलाई पर बांध लेना ये मेरा प्यार। उधर घरों में पकवान बनकर तैयार हैं। लॉक डाउन के कारण रक्षाबंधन के ठीक दो दिन पहले पूरा बाजार बंद रहा, लेकिन व्यापारी खुद स्वीकारते हैं कि रक्षाबंधन के बाजार पर कोरोना का कोई असर नहीं हुआ, राखी पर जो व्यापार पूरे सावन महीने में होता था, वह मात्र चार-पांच दिन में ही पूरा हो गया।
ऑनलाइन बंधेगी फूलों से बनी राखी….
ज्योति टेरिस गार्डन की संचालिका ज्योति सारस्वत कहती हैं कि भाई-बहन का रिश्ता भावनाओं पर टिका है। संक्रमण काल में जाना संभव नहीं था, इसलिए मैंने इस बार अपने भाई को ऑन लाइन राखी बांधने का फैसला किया है। वीडियो कॉलिंग के माध्यम से भाई को राखी दूंगी। उसके लिए मैंने अपने गार्डन के फूलों और पत्तियों से ही राखी बनाई है।
कपड़ा बाजार पर नहीं पड़ा कोरोना असर
वस्त्र व्यापार संघ के अध्यक्ष अतुल जैन कोरोना काल में भी रक्षाबंधन पर कपड़ों के व्यापार को लेकर पूरी तरह संतुष्ट हैं। वे कहते हैं कि कोरोना संक्रमण का सावन के कपड़ा बाजार पर कोई असर नहीं पड़ा। जो व्यापार हर साल सावन पर पूरे महिने भर में होता था, वह व्यापार केवल 4-5 दिन में ही हो गया। हर साल की तरह ही
वीडियो कॉलिंग से होगी भाई से बात
लंदन में जॉब करने वाली विदिशा की खुशबू सक्सेना बताती है कि काफी पहले से रक्षाबंधन पर विदिशा आने का प्लान था। लेकिन कोरोना संकट के चलते सब कैंसिल करना पड़ा। यहां आते तो 10 दिन तो इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन होना पड़ता, इतनी दूर से आओ और 10 दिन अपने परिवार के साथ भी न रह पाएं तो क्या फायदा। इसलिए अब वीडियो कॉलिंग करके ही परिवार से त्योहार की खुशियां साझा करेंगे। छोटी बहनें भाईयों को मेरे नाम की राखी भी बांध देंगी, वीडियोकॉलिंग के जरिए भाईयों सहित सबसे बात कर लेंगे। सबकी सुरक्षा ज्यादा जरूरी हैं।
डाक से 30 प्रतिशत ज्यादा राखियां आईं
कोरोना काल में इस बार बहन-भाईयों का आना-जाना काफी हद तक कम हुआ है, लेकिन राखियों को कोई नहीं रोक सका। कोरियर और डाक के जरिए खूब राखियां भेजी गईं है, जिनकी डिलेवरी रविवार की शाम तक होती रही। विदिशा के पोस्टमास्टर मनमोहन शर्मा ने बताया कि इस बार डाक से आने वाली राखियों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। करीब 12-15 हजार लिफाफे राखियों के आए हैं, जो हर साल की तुलना में करीब 25-30 प्रतिशत ज्यादा हैं। सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व होने के कारण शनिवार और रविवार को भी पोस्ट ऑफिस ने राखियों का वितरण घर-घर किया है। रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट और सामान्य डाक के जरिए आने वाले राखियों के पैकेट ढेर आए हैं।
घरों पर बने पकवान, बाजार की मिठाईयों में रूचि कम
इस त्योहार लोगों ने बाजार की मिठाई पर फोकस न कर घर में ही पकवान और मिठाईयां बनाने पर जोर दिया है। बाजार से आई भी हैं तो वे ज्यादातर पैक डिब्बे वाली मिठाईयां और ड्राय फु्रट्स, चाकलेट को ही प्राथमिकता दी है। इससे मिठाईयों का बाजार अपेक्षाकृत ठंडा है और सोमवार से भी कोई ज्यादा उम्मीद मिठाई विक्रेता नहीं कर रहे हैं। गोपाल स्वीट्स के संचालक अंकित नेमा बताते हैं कि त्योहार के 2-3 दिन ही बिक्री के होते हैं, लेकिन ऐन त्योहार के दो दिन पहले लॉक डाउन से मिठाई का धंधा चौपट है। सोमवार को ही बिक्री से उम्मीद है, लेकिन एक दिन में कितनी बनाएं और कितनी बिकेगी पर संशय है। हर साल की तुलना में इस बार रक्षाबंधन पर मिठाई का व्यापार मात्र 25-30 प्रतिशत ही है।
नहीं बंधेगी कैदियों और बंदियों को राखी
जेल अधीक्षक ने इस बारे में आदेश जारी कर कहा है कि कोरोना से बचाव के मद्देनजर बंदियों की परिजनों से मुलाकात 31 अगस्त तक प्रतिबंधित है।, इसलिए रक्षाबंधन पर भी जिला जेल में बंदियों से उनके परिजनों की मुलाकात नहीं हो सकेगी। उन्होंने रक्षाबंधन पर्व पर बंदियों के परिजनों से जेल परिसर में न आने का अनु्ररोध किया है।
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