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कैलाश सत्यार्थी को याद आ गई कॉलेज की ‘वो’ कहानी!

locationविदिशाPublished: Jan 11, 2019 11:14:38 pm

Submitted by:

Krishna singh

एसएटीआई में जन्मदिन समारोह में पहुंचे नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी

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Nobel laureate Kailash Satyarthi

विदिशा. कई बार ऐसा होता है कि जहां जाओ, वहां के माहौल में ही इंसान ढल जाता है। ऐसा ही हुआ एसएटीआई में, जब नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी अपने पुराने कॉलेज में पहुंचे तो कॉलेज की यादें उनके मस्तिष्क में कौंध गईं। सत्यार्थी को याद आ गई 300 छात्रों के बीच कॉलेज में एडमीशन लेने वाली वह इकलौती लड़की जो उनकी साइकिल पर ही आती-जाती थी। वे उस दुपट्टे वाली लड़की की याद कर अपनी कहानी सुना बैठे।
अपने जन्मदिन पर आयोजित समारोह में सत्यार्थी ने कॉलेज स्टॉफ और विद्यार्थियों के बीच पहुंचकर अपने कॉलेज की यादें ताजा कीं। वे बोले उस समय प्राचार्य शरण साहब थे। उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि एक लड़की कॉलेज में एडमीशन ले रही है। यह सुनकर मैं खुश हो गया। वो एडमीशन लेने आई। कॉलेज के लड़के उसे परेशान न करें, इसलिए प्राचार्य ने मुझे जिम्मेदारी देते हुए कहा कि इसका ध्यान तुम्हें रखना है। मेरे मन में लड्डू फूटने लगे कि ये और अच्छी बात है। करीब 300 छात्रों के बीच वह इकलौती लड़की जब आई तो सारे लड़के लाइन से खड़े होकर ऐसे देखने लगे जैसे उसे सलामी देने आए हों। मेरे साथ उस लड़की की दोस्ती हो गई और जब उसकी साइकिल की हवा दूसरे लड़के निकालकर अपनी बाइक पर चलने का ऑफर देते तो वह अपने दुपट्टे के साथ सबको झटक कर मुझसे कहती, कैलाश-मैं तुम्हारी साइकिल पर चलूंगी, मुझे हॉस्टल तक ड्राप कर देना।
सत्यार्थी ने समारोह में अपने गुरू प्रो. आरसी जैन को गौरव अलंकरण सम्मान से सम्मानित कर उनके पैर छुए। वे यह कहना नहीं भूले कि प्रो. जैन बहुत सख्त थे, जबकि हम बहुत शैतान। हम पुष्कर सर की साइकिल की हवा निकालकर उन्हें परेशान होते देख खूब हंसते थे। एसएटीआई में विद्यार्थियों के आगाज ग्रुप ने बाल मजदूरी और बाल अपराधों पर प्रभावी नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। इसके बाद सत्यार्थी काफी देर तक विद्यार्थियों के साथ सेल्फी लेते रहे। वे फोटो खिंचवाने के लिए विद्यार्थियों के साथ फर्श पर नीचे जा बैठे। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में 40 फीसदी बच्चों पर मात्र 4 फीसदी खर्च हो रहा है। बच्चे इस देश की प्राथमिकता में नहीं हैं। यह इसलिए क्योंकि बच्चे वोटबैंक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चुप्पी से बड़ा कोई अपराध नहीं है। अन्याय को देखकर न बोले तो जिन्दा रहने का अधिकार नहीं है। इस अवसर पर डायरेक्टर जेएस चौहान ने स्वागत भाषण दिया। कॉलेज में उनके जन्मदिन पर केक काटा गया।
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