सुबह पौने नौ बजे सीजेएम के साथ ही सिविल लाइंस पुलिस और यातायात पुलिस अमला दुर्गानगर चौराहा पहुंचा। यहां जब एक-एक कर स्कूली वाहन और अन्य वाहनों की जांच की गई, तो न्यायाधीश भी वाहन चालकों की लापरवाही देखकर दंग रह गए और नाराजगी जताई। स्थिति यह थी कि कई स्कूली वाहन चालकों के पास जहां लाइसेंस तक नहीं थे। वहीं अन्य वाहन चालकों की अनियमितताएं सामनें आईं। इस दौरान सात स्कूली ऑटो चालक बच्चों को ओवरलोडेड ले जाते मिले।
डे्रस तक नहीं पहने थे कई स्कूली वाहन चालक
नियमानुसार स्कूली वाहन चालक को वर्दी पहनकर ही वाहन चलाना है, लेकिन न्यायाधीशों की जांच में सामने आया कि अधिकांश स्कूली वाहन चालक वर्दी नहीं पहने था। इस प्रकार कुल 12 वाहन चालकों के खिलाफ वर्दी नहीं पहनने पर चालानी कार्रवाई की गई। वहीं ओवरलोडेड बच्चों को बिठाकर स्कूल ले जाया जा रहा था। जिस ऑटो की क्षमता पांच से छह बच्चों की थी उसमें आठ से 12 बच्चे बैठे हुए थे। यही स्थिति मैजिक और वेन आदि स्कूली वाहनों की रही। जिसके चलते सात ओवरलोडेड स्कूली वाहन चालकों के खिलाफ कोर्ट चालानी कार्रवाई की गई।
रास्ता बदलकर जाते दिखे वाहन चालक
सुबह न्यायाधीशों द्वारा की जा रही वाहनों की जांच के दौरान वाहन चालकों में हड़कंप देखने को मिला। स्थिति यह थी कि जिस भी वाहन चालक को जांच का पता चला, तो वह दुर्गानगर चौराहा तरफ से नहीं जाते हुए अन्य दूसरे मार्गों से लंबा चक्कर लगाकर जाते दिखे।
बगैर नम्बर के चला रहे थे ट्रैक्टर
वाहनों की जांच के दौरान एक ट्रैक्टर वहां से निकला, तो उस पर वाहन के नम्बर ही नहीं लिखे थे। न्यायाधीशों ने उसका कोर्ट चालान बनाया। इसी प्रकार एक अन्य ट्रैक्टर चालक के पास वाहन का लाइसेंस ही नहीं था। वहीं एक बस चालक के पास तो पाल्यूशन संबंधी प्रमाणपत्र ही नहीं था। वहीं छह बस चालकों के पास भी दस्तावेज आदि नहीं पाए जाने पर कोर्ट चालानी कार्रवाई की गई।
कई को दी सझाईश
इस दौरान थोड़ी बहुत कमी पाए जाने वाले कई वाहन चालकों को न्यायाधीशों ने समझाईश देकर छोड़ दिया। जिससे कि स्कूली वाहनों में बैठे स्कूल जाने के लिए लेट नहीं हों और समय पर स्कूल पहुंच सकें। इस दौरान यातायात थाना के सूबेदार रीतेश बाघेला, एएसआई सालिगराम प्रजापति, हेडकांस्टेबल देवकीनंदन गुरु, हवलदार अनिल मिश्रा, आरक्षक घनश्याम यादव, विनोद और मुकेश आदि मौजूद रहे।