तीन दिन से हो रही बारिश और भोपाल की ओर से आ रहे पानी के कारण बेतवा ने खतरे के निशान को पार कर दिया। बेतवा का जलस्तर 1373.70 फीट पर पहुंच गया है। जबकि खतरे का निशान 1373.60 फीट है। रंगई में काली मंदिर के पास रोड पर पानी आ गया। बेतवा के चरणतीर्थ मंदिरों के केवल शिखर ही दिखाई दे रहे थे। शनि मंदिर सहित उसका रास्ता जलमग्र हो चुका था। रंगई के बाढ़ वाले गणेश मंदिर में भी पानी पहुंच चुका था।
जिले के नदी-नालों में भारी उफान के कारण 21 रास्तों से आवागमन बंद था। एनडीआरएफ-एसडीआरएफ, होमगार्ड और अधिकारियों की टीम बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने में जुटी थी। शाम तक 300 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका था। बाढ़ राहत शिविरों में लोगों को ठहराकर उनके भोजन का इंतजाम किया गया। मुख्यमंत्री ने भी कलेक्टर उमाशंकर भार्गव से विदिशा जिले में बाढ़ के हालातों पर चर्चा की।
बैरागढ़ में टैम नदी क्षेत्र से 12 लोगों को किया रेस्क्यू
लटेरी तहसील के बैरागढ़ में टैम नदी क्षेत्र से 12 लोगों को रेस्क्यू किया गया। बर्री से 05, विदिशा शहर के नौलखी से 130 लोगों को, पमारिया से 125 लोगों को, बासौदा में पारासरी नदी से घिरे 17 लोगों को, रंगई से 27 लोगों सहित अनेक जगह से लोगों को रेस्क्यू किया जाता रहा। करारिया में एक गर्भवती को बमुश्किल रेस्क्यू कर अस्पताल भिजवाया गया।
कीचड़ में धंसते हुए नौलखी पहुंचीं तहसीलदार
तहसीलदार सरोज अग्निवंशी सुबह 7 बजे ही नौलखी बस्ती को खाली कराने जा पहुंचीं। यहां बेहद कीचड़ थी उसमें धंसते हुए वे अपनी टीम और पुलिस बल के साथ पहुंचीं और करीब सौ से ज्यादा लोगों को निकलवाया, फिर भी यहां लोग निकलने को तैयार नहीं थे।
कई स्कूल भवन डूबे
जिले के कई स्कूल भवन भारी बारिश और नदी नालों के उफान में डूब गए। दुपारिया और भैरोंखेड़ी के स्कूल भवन मंगलवार की सुबह आधे से ज्यादा डूबे हुए थे। हालांकि कलेक्टर ने विद्यार्थियों के लिए पहले ही 16 अगस्त का अवकाश घोषित कर दिया था, जिससे विद्यार्थियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।