केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भड़काऊ भाषण के खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधान सही हैं और उसने अपने नेता सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच नफरत फैलाने के आरोप में लगाए गए अभियोग को भी सही ठहराया है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भड़काऊ भाषण के खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधान सही हैं और उसने अपने नेता सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच नफरत फैलाने के आरोप में लगाए गए अभियोग को भी सही ठहराया है।
बता दें कि इन दिनों अपने मंत्रियों की लगाम कसने में असफल रहने पर केंद्र सरकार और अपने नेताओं के भड़काऊ बयानों की वजह से सत्तारूढ़ दल बीजेपी आलोचना के केंद्र में है।
मौजूदा कानून के मुताबिक हेट स्पीच किसी भाषण, आचरण या व्यवहार, लेखन या चित्रण को कहा जाता है, जिससे हिंसा भड़क सकती है या धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं या विभिन्न समुदायों के बीच धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास या भाषा के आधार पर दुश्मनी हो सकती है।
इसलिए, इस पर बैन लगाया गया है। गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी समुदाय या वर्ग नफरत फैलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसा किया गया तो देश में अव्यवस्था और दंगे हो सकते हैं।
स्वामी ने दी थी चुनौतीस्वामी ने हेट स्पीच पर आईपीसी की मौजूदा धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया कि इन प्रावधानों का मकसद देश की एकता और विभाजनकारी ताकतों को रोकना है।
केंद्र का कहना था कि इन प्रावधानों को चुनौती इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि संविधान में नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सिर्फ तार्किक लगाम लगाई गई है। स्वामी के खिलाफ दिल्ली, मुंबई, असम, मोहाली और केरल में भड़काऊ बयानों की धाराओं में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।