विदिशा से 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ीं और जीतीं सुषमा स्वराज ने 21 फरवरी को आखरी बार विदिशा का दौरा किया था। वे यहां सिविल लाइन में 18 करोड़ की लागत से बनाए गए रवींद्रनाथ टेगौर सांस्कृतिक भवन का लोकार्पण करने आईं थीं। इस मौके पर सुषमा ने कहा था कि जब पहली बार मैँने यहां से चुनाव लड़ा था तो यहां के लोगों ने तीन मांगें मेरे सामने रखीं थीं। पहला बायपास, दूसरा रेल कारखाना और तीसरा मेडिकल कॉलेज। मुझे खुशी है कि मैंने तीनों मांगों को पूरा किया। लेकिन यहां के सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों के लिए एक अच्छे ऑडिटोरियम की कमी मुझे खुद महसूस हुई थी, मुझे खुशी है कि मैंने इस अपने आखरी वचन को भी पूरा किया। सुषमा ने कहा था कि यहां के लोगों से जो रिश्ता बना है, उसे ताउम्र निभाऊंगी। बस, सुषमा स्वराज का विदिशा में यही आखरी दौरा था और विदिशा के लिए आखरी संबोधन भी। इसके बाद वे कभी यहां नहीं आ सकीं। इसी समारेाह में उन्होंने यह भी कहा था कि स्वास्थ्य कारणों से मैं 2019 का लोकसभा चुनाव अब नहीं लडूंगी। सुषमा ने अपना वादा निभाया। 21 फरवरी को वे आखरी बार विदिशा आईं थीं और फिर 6 अगस्त 2019 को अचानक उनके निधन की खबर ने पूरे देश सहित विदिशा को भी स्तब्ध कर दिया था।
सुषमा स्वराज के जन्मदिन पर रविवार को दीपक तिवारी मित्र मंडल द्वारा मानव सेवा न्यास में निराश्रितों को भोजन कराकर स्वराज को श्रद्धासुमन अर्पित किए। तिवारी ने बताया कि इस मौके पर भाजपा नेता मुकेश टंडन ने सुषमा के दस वर्षोँ के कार्यकाल पर प्रकाश डाला। इस मौके पर विजय जैन, दिनेश कुशवाह, सुरेंद्र चौहान, प्रमोद जैन, सोनू सरदार, राजकुमार शर्मा, इदरीश अहमद, रूद्रेश नामदेव, अंशुल चौरसिया, पवन सोनी, रवि शर्मा, रामकृष्ण विश्वकर्मा, अमित दंडोतिया, मोहन यादव, अभिषेक शाक्य आदि अनेक लोगों ने स्वराज को पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया।