तमिलभाषी राजलक्ष्मी ने पहले खुद हिन्दी सीखी फिर चेन्नई में हिन्दी का स्कूल खोला
बुलेटरानी के नाम से भी मशहूर हैं राजलक्ष्मी

विदिशा. तमिलनाडू ऐसे राज्यों में से है जहां राज्य शासन के स्कूलों में हिन्दी को कोई जगह नहीं है। तमिलनाडू में हिन्दी को दूसरी और तीसरी भाषा के रूप में भी स्वीकार नहीं किया गया है। हिन्दी राष्ट्रभाषा होने के बावजूद यहां हिन्दी स्वीकार नहीं है। लेकिन राष्ट्रप्रेम और कुछ करने की ललक ऐसी थी कि खुद तमिलभाषी राजलक्ष्मी मंदा ने अपनी मातृभाषा तमिल के साथ ही हिन्दी में एमए किया और फिर तमिलभाषियों के दिल में हिन्दी का घर बनाने के लिए चैन्नई में मंदा हिन्दी शैक्षिक संस्थान स्थापित किया। इस संस्थान में पिछले 12 साल में लाखों बच्चे हिन्दी सीख चुके हैं।
विदिशा में लीगल राइट्स ऑफ कांउसिल के कार्यक्रमों में शामिल होने आईं राजलक्ष्मी 9.5 टन का ट्रक खींचकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं, वे बुलेटरानी के नाम से भी मशहूर हैं। उन्होंने महिलाओं में हर मुश्किल काम भी कर सकने का जज्बा भरने के लिए न सिर्फ ट्रक खींचा बल्कि बाइक से 19 राज्यों के 425 जिलों की यात्रा करके बुलेटरानी भी कहलाईं। वे 25 दिन में 5200 किमी की दूरी बाइक से कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा करने और पूरी यात्रा के दौरान राष्ट्रीय ध्वज लहराने वाली पहली महिला हैं। मंदा कहती हैं कि आजकल कोई कहने से नहीं मानता, उसे कुछ करके दिखाना होता है। महिलाएं हर मुश्किल काम भी कर सकती हैं, यही दिखाने मैंने कई जगहों पर ट्रक खींचने का प्रदर्शन किया है। मंदा कहती हैं कि देश में करीब 55 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं, लेकिन तमिल, कन्नड़ और मलयाली बोलने, समझने वालों की संख्या 2-5 प्रतिशत है। ऐसे में हम 45 प्रतिशत लोगों को हिन्दी सिखा सकते हैं, लेकिन 95 प्रतिशत लोगों को हिन्दी सिखाना मुश्किल है। मैं दक्षिण भारत में भी हिन्दी को स्थापित करना चाहती हूं और ये कर भी रही हूं।
राजलक्ष्मी इन दिनों लीगल राइट्स काउंसिल की राष्ट्रीय महासचिव हैं, मप्र में देवना अरोरा को प्रदेशाध्यक्ष और संदीप डोंगर सिंह को प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी सौंपने के बाद वे काउंसिल के विस्तार में जुटी हैं।
उन्होंने बताया कि काउंसिल महिलाओं और आम जनता के लिए कानूनी सहायता, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, सांस्कृतिक विकास, स्वास्थ्य आदि के बारे में जागरुक करने का काम कर रही है। इसी तारतम्य में विदिशा के वात्सल्य स्कूल और सागर में महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने के लिए प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया जा रहा है। युवा पीढ़ी और महिलाओं को अवसाद से निकालने के लिए लगातार प्रेरणादायक सेमीनार आयोजित किए जा रहे हैं। हम अपने काम से ये भी सीख देना चाहते हैं कि महिलाएं अपने आप को कमजोर न समझें, हर मुश्किल काम भी जिद और इच्छाशक्ति से किया जा सकता है।
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