लापरवाही की फाइलें इस तरह सरकीं आगे….
-12 जून 2018 को रोहित मिनोरा की नियुक्ति सिरोंज में रेडियोग्राफर के पद पर हुई थी।
-प्रथम नियुक्ति के बाद उसी माह कर्मचारी के वेतन संबंधी सारी प्रक्रिया पूरी कर लेने के निर्देश हैं, लेकिन सीएमएचओ कार्यालय ने पूरे चार माह तक रोहित के मामले को शुरू में ही दबा दिया। सीएमएचओ कार्यालय से 18 अक्टूबर 2018 को पहली बार एम्प्लाइ कोड का फार्म जिला कोषालय भेजा गया।
– सीएमएचओ कार्यालय द्वारा चार माह बाद भेजा गया यह फार्म भी अधूरा था, उस पर आहरण-संवितरण अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे। इसलिए जिला कोषालय ने सीएमएचओ को वह फार्म 26 अक्टूबर को वापस करते हुए यह भी पूछा कि फार्म को इतने दिन तक लटका कर क्यों रखा गया।
– सीएमएचओ कार्यालय ने वह फार्म हस्ताक्षर के बाद 29 अक्टूबर को फिर कोषालय भेजा।
– 01 नवम्बर 2018 को कोषालय से रोहित का एम्प्लाइ कोड जारी हुआ। इसके साथ ही प्रोन नंबर भी जारी हो जाना चाहिए, लेकिन सीएमएचओ ने फिर एक माह बाद 3 दिसम्बर 2018 को प्रोन नंबर के लिए ट्रेजरी में कागजात भेजे।
-05 दिसम्बर को इन दस्तावेजों को रोहित के प्रोन नंबर के लिए अनुमोदन मिला और उन्हें मुंबई भेज दिया गया।
-12 दिसम्बर को मुंबई से प्रोन नंबर जारी हो गया।
-इसके बाद पूरे दिसम्बर और जनवरी को भी सीएमएचओ ऑफिस ने यूं ही लापरवाही से गुजार कर फाइल दबा कर रखी।
-22 जनवरी 2019 को सीएमएचओ कार्यालय से पे रिकार्ड के लिए कोषालय में पत्र भेजा गया, लेकिन उसमें भी पे-रिकार्ड की जगह पे-फिक्सेशन का उल्लेख किया गया।
– गलत और अधूरा पत्र पाकर कोषालय ने इस पत्र को भी 30 जनवरी को सीएमएचओ कार्यालय को लौटा दिया।
-इसके बाद रोहित के वेतन के लिए सीएमएचओ कार्यालय ने कोई संपर्क जिला कोषालय से नहीं किया।
-जब 5 फरवरी को रोहित ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी तो सीएमएचओ कार्यालय का लेखापाल कोषालय पहुंचा और वेतन के बारे में पता लगाया। तब उसे पता चला कि रोहित का रेडियोग्राफर पद कोषालय के सॉफ्टवेयर सीएसएफएमएस पर शो ही नहीं हो रहा है।
-12 जून 2018 को रोहित मिनोरा की नियुक्ति सिरोंज में रेडियोग्राफर के पद पर हुई थी।
-प्रथम नियुक्ति के बाद उसी माह कर्मचारी के वेतन संबंधी सारी प्रक्रिया पूरी कर लेने के निर्देश हैं, लेकिन सीएमएचओ कार्यालय ने पूरे चार माह तक रोहित के मामले को शुरू में ही दबा दिया। सीएमएचओ कार्यालय से 18 अक्टूबर 2018 को पहली बार एम्प्लाइ कोड का फार्म जिला कोषालय भेजा गया।
– सीएमएचओ कार्यालय द्वारा चार माह बाद भेजा गया यह फार्म भी अधूरा था, उस पर आहरण-संवितरण अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे। इसलिए जिला कोषालय ने सीएमएचओ को वह फार्म 26 अक्टूबर को वापस करते हुए यह भी पूछा कि फार्म को इतने दिन तक लटका कर क्यों रखा गया।
– सीएमएचओ कार्यालय ने वह फार्म हस्ताक्षर के बाद 29 अक्टूबर को फिर कोषालय भेजा।
– 01 नवम्बर 2018 को कोषालय से रोहित का एम्प्लाइ कोड जारी हुआ। इसके साथ ही प्रोन नंबर भी जारी हो जाना चाहिए, लेकिन सीएमएचओ ने फिर एक माह बाद 3 दिसम्बर 2018 को प्रोन नंबर के लिए ट्रेजरी में कागजात भेजे।
-05 दिसम्बर को इन दस्तावेजों को रोहित के प्रोन नंबर के लिए अनुमोदन मिला और उन्हें मुंबई भेज दिया गया।
-12 दिसम्बर को मुंबई से प्रोन नंबर जारी हो गया।
-इसके बाद पूरे दिसम्बर और जनवरी को भी सीएमएचओ ऑफिस ने यूं ही लापरवाही से गुजार कर फाइल दबा कर रखी।
-22 जनवरी 2019 को सीएमएचओ कार्यालय से पे रिकार्ड के लिए कोषालय में पत्र भेजा गया, लेकिन उसमें भी पे-रिकार्ड की जगह पे-फिक्सेशन का उल्लेख किया गया।
– गलत और अधूरा पत्र पाकर कोषालय ने इस पत्र को भी 30 जनवरी को सीएमएचओ कार्यालय को लौटा दिया।
-इसके बाद रोहित के वेतन के लिए सीएमएचओ कार्यालय ने कोई संपर्क जिला कोषालय से नहीं किया।
-जब 5 फरवरी को रोहित ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी तो सीएमएचओ कार्यालय का लेखापाल कोषालय पहुंचा और वेतन के बारे में पता लगाया। तब उसे पता चला कि रोहित का रेडियोग्राफर पद कोषालय के सॉफ्टवेयर सीएसएफएमएस पर शो ही नहीं हो रहा है।
क्या झूठ बोल रहीं हैं सीएमएचओ…?
इस मामले में सीएमएचओ डॉ शशि ठाकुर ने संचालक को एक पत्र भेजने का जिक्र किया है। कोषालय अधिकारी के व्हाट्सएप पर भेजे गए इस पत्र में 29 जनवरी 2018 लिखा है। पत्र में संचालक को लिखा है कि रोहित मिनोरा का रेडियोग्राफर पद कोषालय के सॉाफ्टवेयर पर शो नहीं हो रहा है। इस मामले में जिला कोषालय अधिकारी अश्विनी सिंह परिहार साफ कहते हैं कि शायद स्वास्थ्य विभाग को पता चल गया था कि रोहित ने सुसाइड कर ली है, इसके बाद उनके एकाउंटेंट ने पहली बार आकर ट्रेजरी में पता किया था, तब उन्हें बताया गया था कि सॉफ्टवेयर पर पद शो नहीं हो रहा है। इससे पहले कभी स्वास्थ्य विभाग के किसी भी अधिकारी कर्मचारी को इस बारे में पता नहीं था। अब ये 29 जनवरी के पत्र में कैसे लिखा गया यह समझ से बाहर है। तो क्या ये माना जाए कि सीएमएचओ झूठ बोल रही हैं, और उन्होंने ये घटना हो जाने के बाद आनन-फानन में पिछली तारीख में पत्र जारी कराया है। जब कोषालय में उनका कोई कर्मचारी देखने गया ही नहीं फिर उन्हें कैसे पता लगा कि पद शो नहीं हो रहा।
इस मामले में सीएमएचओ डॉ शशि ठाकुर ने संचालक को एक पत्र भेजने का जिक्र किया है। कोषालय अधिकारी के व्हाट्सएप पर भेजे गए इस पत्र में 29 जनवरी 2018 लिखा है। पत्र में संचालक को लिखा है कि रोहित मिनोरा का रेडियोग्राफर पद कोषालय के सॉाफ्टवेयर पर शो नहीं हो रहा है। इस मामले में जिला कोषालय अधिकारी अश्विनी सिंह परिहार साफ कहते हैं कि शायद स्वास्थ्य विभाग को पता चल गया था कि रोहित ने सुसाइड कर ली है, इसके बाद उनके एकाउंटेंट ने पहली बार आकर ट्रेजरी में पता किया था, तब उन्हें बताया गया था कि सॉफ्टवेयर पर पद शो नहीं हो रहा है। इससे पहले कभी स्वास्थ्य विभाग के किसी भी अधिकारी कर्मचारी को इस बारे में पता नहीं था। अब ये 29 जनवरी के पत्र में कैसे लिखा गया यह समझ से बाहर है। तो क्या ये माना जाए कि सीएमएचओ झूठ बोल रही हैं, और उन्होंने ये घटना हो जाने के बाद आनन-फानन में पिछली तारीख में पत्र जारी कराया है। जब कोषालय में उनका कोई कर्मचारी देखने गया ही नहीं फिर उन्हें कैसे पता लगा कि पद शो नहीं हो रहा।
वित्त सलाहकार ने ली मामले की जानकारी
पत्रिका की खबर प्रकाशित होने के बाद रोहित मिनोरा को 7 माह से वेतन न मिलने और उसकी मौत के मामले में हड़कम्प मच गया। स्वास्थ्य विभाग के वित्त सलाहकार ने जिला कोषालय से रोहित को वेतन नहीं मिलने के बारे में पूरी जानकारी ली।
पत्रिका की खबर प्रकाशित होने के बाद रोहित मिनोरा को 7 माह से वेतन न मिलने और उसकी मौत के मामले में हड़कम्प मच गया। स्वास्थ्य विभाग के वित्त सलाहकार ने जिला कोषालय से रोहित को वेतन नहीं मिलने के बारे में पूरी जानकारी ली।