scriptथाने-कचहरी नहीं जाते, पंचायत में ही होता है बंजारों का फैसला | The decision of the banjaras is done in the panchayat itself | Patrika News

थाने-कचहरी नहीं जाते, पंचायत में ही होता है बंजारों का फैसला

locationविदिशाPublished: Jun 04, 2021 09:33:34 pm

Submitted by:

govind saxena

पेड़ के नीचे लगी बंजारों की पंचायत

थाने-कचहरी नहीं जाते, पंचायत में ही होता है बंजारों का फैसला

थाने-कचहरी नहीं जाते, पंचायत में ही होता है बंजारों का फैसला

शमशाबाद. बंजारा समाज में यदि कोई झगड़ा हो तो वे थाने-कचहरी नहीं जाते। समाज की पंचायत बैठती है और उसमें बुजुर्ग और आसपास के ग्रामों के समाज के मुखिया जो फैसला देते हैं वह सबको मानना पड़ता है। फैसला न मानने पर संबंधित परिवार को समाज का बहिष्कार झेलना पड़ता है। शालाखेड़ी में ऐसी ही पंचायत शुक्रवार को भी बैठी, जिसमें एक विवाह के विवाद का फैसला हुआ। समाज के लोगों ने बताया कि बंजारा समाज में बरसों से पंचायत के जरिए न्याय करने की परम्परा चली आ रही है। समाज के कई विवाद ऐसे ही सुलझाए जाते हैं। समाज के मुखियाओं द्वारा पंचायत बुलाकर दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला दिया जाता है। और फिर दोनों पक्षों को वह न्याय या सजा स्वीकार करना पड़ती है। शुक्रवार को आए विवाद में शमशाबाद के बिछिया और बंदरुआ दो ग्रामों के परिवारों के बीच शादी को लेकर विवाद हुआ। इस बात पर जब दोनों परिवारों में सुलह नहीं हुई तो पंचायत बैठी। पंचायत में क्षेत्र के सभी ग्रामों के बंजारा मुखिया शामिल हुए ओर फिर दोनों पक्षों की बात सुनकर विवाद सुलझाया गया।
वर्जन…
हमारे बंजारा समाज में कोई भी बड़ा विवाद होने पर क्षेत्र के ग्रामों के मुखिया एक जगह एकत्रित होकर पंचायत बैठाते हैं। दोनों पक्षों को पंचायत में सुनकर फैसला सुनाया जाता है। कोर्ट कचहरी और थाने के चक्कर में हम लोग नहीं पड़ते।
-हरिसिंह बंजारा, शालाखेड़ी
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