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जिला अस्पताल में फेको मशीन नहीं, नेत्र ऑपरेशन के लिए जाना पड़ता अन्य शहर

locationविदिशाPublished: Mar 25, 2019 12:09:47 pm

Submitted by:

Amit Mishra

जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए फेको मशीन नहीं है। इससे मरीजों को निशुल्क ऑपरेशन के लिए अन्य शहर जाना पड़ता है।

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जिला अस्पताल में फेको मशीन नहीं, नेत्र ऑपरेशन के लिए जाना पड़ता अन्य शहर

विदिशा। जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए फेको मशीन नहीं है। इससे यहां मरीजों के ऑपरेशन बहुत कम हो रहे और मरीजों को मशीन से ऑपरेशन कराने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। प्राइवेट में यह ऑपरेशन कराने पर मरीज को 15 से 25 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। मालूम हो कि आंखों में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए आसपास जिलों में आधुनिक मशीनें आ चुकी लेकिन यहां जिला अस्पताल में पुरानी एसआईसीएस पद्धति से ही ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं। इससे जिला अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने में मरीजों की रूचि कम हुई है और इनकी संख्या काफी कम होने लगी है। हालत यह कि महीनों में औसतन तीन-चार ऑपरेशन ही यहां हो पा रहे हैं।

रायसेन, भोपाल जाते हैं मरीज

अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि जिले के मरीज निशुल्क ऑपरेशन के लिए शासकीय अस्पताल रायसेन, भोपाल, सहित सेवासदन नेत्र चिकित्सालय बैरागढ़ व आनंदपुर अस्पताल जा रहे हैं। जबकि निजी अस्पताल में यह ऑपरेशन 15 हजार से 25 हजार एवं इससे भी अधिक राशि में होता है, जो गरीब मरीजों के वश में नहीं रहता। कर्मचारियों का कहना है कि जिला अस्पताल को यह मशीन मिल जाए तो यहां गरीब मरीजों के निशुल्क ऑपरेशन किया जाना संभव हो सकेगा।

मशीन से ऑपरेशन में यह फायदे अस्पताल के नेत्र रोग चिकित्सक डॉ. आरके साहू का कहना है कि मशीन से यह ऑपरेशन आसान होता है। इस मशीन से सर्जरी में सिर्फ डेढ़ से दो एमएम का टांका लगाना पड़ता है। छोटा घाव होने से यह जल्दी भरा जाता है। जबकि हाथ से एसआईसीएस सर्जरी में पांच से छह एमएम का टांका लगाना पड़ता है और घाव भरने में समय लगता है।

फेको मशीन के लिए नई व्यवस्थाएं करना पड़ेंगी। आंखों की जांच के लिए अभी डॉक्टर भी एक ही है। इसलिए उन्हें प्रशिक्षण के लिए भी भेजना संभव नहीं है। जिला अस्पताल नए भवन में शिफ्ट होने के बाद इस विषय पर सोचा जाएगा।

-डॉ. संजय खरे, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल

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