घर में ही खुद और परिवार के लिए शुद्ध और जैविक सब्जियों की आवश्यकता देखते हुए विकास ने यह पहल शुरू की। उन्होंने भीषण गर्मी से पौधों को बचाने के लिए पहले छत पर बसों का मंडप बनाकर उस पर ग्रीन मेट की छाया की। विकास ने अपने परिचितों के घरों से डिसटेंपर की खाली बाल्टियां, टीन के पीपे, टब, तेल की खाली कुप्पियां आदि एकत्रित किए। खेतों से मिट्टी और गौशाला से गोबर का खाद लाकर उन्होंने बीज रोप दिए। उनकी छत पर इन दिनों तमाम सब्ी-भाजी के पौधे उग आए हैं जो कुछ ही दिनों मेें फल देने लगेंगे। पूरी छत हरे-भरे खेत में तब्दील दिखने लगी है। विकास और उनके परिवार का अधिकांश वक्त अब इसी टेरिस गार्डन की देखभाल में ही बीत रहा है। विकास का कहना है कि इस छत से करीब 20 परिवारों के उपयोग में आने वाली सब्जियां रोजाना निकलेंगी। विकास अन्य लोगों को भी अपने-अपने आंगन और छत पर ऐसे ही टेरिस गार्डन और बागवानी को प्रेरित करने में लगे हुए हैं।