scriptमीलों दूर से दिखने वाला मंदिर उदयपुर में ही ओझल होने लगा | The temple, visible from miles away, started disappearing in Udaipur | Patrika News

मीलों दूर से दिखने वाला मंदिर उदयपुर में ही ओझल होने लगा

locationविदिशाPublished: Jan 17, 2021 07:38:21 pm

Submitted by:

govind saxena

एएसआइ के स्मारक के आसपास नहीं हो सकता नवनिर्माण

मीलों दूर से दिखने वाला मंदिर उदयपुर में ही ओझल होने लगा

मीलों दूर से दिखने वाला मंदिर उदयपुर में ही ओझल होने लगा

विदिशा. करीब एक हजार साल पुराने उदयपुर के नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के शिल्प और भोले नाथ के दर्शन करने हजारों मील दूर से दर्शनार्थी और पर्यटक आते हैं, मीलों दूर से ही उन्हें मंदिर का शिखर आकर्षित करता दिखता है। अपने वाहनों से ही वे उसे देख उत्साह से चिल्लाने लगते हैं, देखो, वो दिख रहा है मंदिर। लेकिन उदयपुर नगर में प्रवेश करते ही उनका उत्साह ठंडा पडऩे लगता है, कारण कि चौराहे से भी मंदिर को देखना मुश्किल हो गया है। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग बहुत संकरा है और इस राह में भी ऐसे निर्माण हो चुके हैं और कुछ ऐसे ही निर्माण चोरी-छिपे करने की तैयारी है जिससे मंदिर का गुंबज पूरी तरह छिप जाएगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक एएसआइ के किसी भी स्मारक से तीन सौ मीटर दूर तक कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता। लेकिन उदयपुर मंदिर में धीरे-धीरे भवन आकार ले रहे हैं, यह काम कोई महीने-दो महीने में नहीं हुआ। धीरे-धीरे योजनाबद्ध तरीके से भवन बढ़ रहे हैंं्र, यही कारण है कि चौराहे से भी नीलकंठेश्वर मंदिर का शिखर अब ओझल होता दिख रहा है। उसके सामने अब एक लोहे की चादरों का मीनार और कुछ भवन खड़े दिखाई देने लगे हैं। एएसआइ की बंदिशों के कारण ये मीनार अभी लोहे और सरियों के हैं, लेकिन कब ये पक्के हो जाएंगे कह नहीं सकते। इसी तरह कुछ भवनों के छज्जे, आगे बढ़ती दीवारें इस पुरा धरोहर के वैभव को पीछे धकेलने का काम कर रही हैं। एएसआइ, मप्र राज्य पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन को भी इस पर नजर रखना होगी कि जिले की यह बेजोड़ शिल्प और ऐतिहासिक, धार्मिक विरासत आगे चलकर विवाद में न फंसे, वरना ऐसे मामलों को सुलझाने में फिर सदियों लग जाएंगी।
मुश्किल में है महादेव तक पहुंचने की डगर
विशाल गगनचुंबी शिखर वाला बेहद खूबसूरत नीलकंठेश्वर मंदिर। मंदिर का विशाल परिसर लेकिन कोई पहाड़ी नहीं, कोई गुफा नहीं फिर भी महादेव के दर्शन के लिए पहुंचना दर्शनार्थियों और पर्यटकों के लिए बड़ा मुश्किल भरा है। अनमोल धरोहर होने के बावजूद मंदिर तक पहुंचने का सुगम रास्ता प्रशासन नहीं बनवा पा रहा है। करीब 8-10 फीट चौड़ी गली से होकर मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचना पड़ता है। जब मंदिर निर्माण हुआ होगा तब यकीनन मंदिर तक पहुंचने के लिए रास्ते भी मंदिर की ही तरह तीन होंगे, लेकिन अब रास्ता एक ही है और वहां तक पहुंचना मुश्किल भी। पार्किंग के लिए बाहर कोई इंतजाम नहीं है और अगर मंदिर तक वाहन ले जाओ और कोई एक वाहन भी फंस गया तो पैदल निकलना भी दूभर होता है। ऐसे में जरूरी है कि दोनेां ओर 10-10 फीट सडक़ और चौड़ी कर मौजूदा मार्ग को चौड़ा किया जाए। हालांंकि प्रशासन ने इस बारे में प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन सक्रियता और इच्छाशक्ति की कमी के कारण यह काम अभी प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं दिखता।
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