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विदिशा

हमारे उत्सवों से ही चलते हैं इनके घर-परिवार…

चाक से गढ़े जा रहे हैं मिट्टी के दीपक, जो रोशन करेंगे शहर

विदिशाOct 17, 2021 / 08:48 pm

govind saxena

हमारे उत्सवों से ही चलते हैं इनके घर-परिवार...

हमारे उत्सवों से ही चलते हैं इनके घर-परिवार…

विदिशा. उत्सवों की सनातनी परंपरा में उत्सव के साथ ही वंचित वर्ग के लिए रोजगार का इंतजाम भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। करवाचौथ मनती है तो उसके लिए करवे, सींके, छलनी, पूजन सामग्री बेचने वालों का छोटा-मोटा व्यापार भी चलता है। इसी तरह जब दीपावली आती है तो मूर्तिकारों का घर कारखाने में तब्दील हो जाता है और घर का हर सदस्य इसका सक्रिय कामगार बन जाता है। यह सीजन है साल भर के लिए कुछ कमाने का जिससे घर-परिवार चल सके। ऐसा ही सीजन अब है, जिसमें गढ़े जा रहे हैं दीपक, करवे और लक्ष्मी प्रतिमाएं। अब इनको सुखाने, पकाने और रंग रोगन के बाद बाजार में लाया जाएगा, जिससे हमारे गांव-शहर रोशन हो सकें, त्यौहारों की परंपरा बनी रहे और इनके घरों में पहुंच सके कुछ मेहनत का पैसा। हालांकि अब दीपक और करवे भी बाहर से मंगाए जाने लगे हैं, लेकिन फिर भी जिले में काफी मूर्तिकार करवे, लक्ष्मी प्रतिमाएं और दीपक बनाने का काम करते हैं, यही हमारी परंपरा भी है। ये उत्सव का सीजन है और हमारे उत्सवों से ही ऐसे कई परिवारों की रोजी रोटी भी चलती है।

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