स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा ने 2015 में अपनी सम्मान निधि से हिन्दी भवन के लिए 10 लाख रुपए दान दिए थे। फिर तत्कालीन कलेक्टर एमबी ओझा ने सेनानी और उनके साथ गए ट्रस्ट के लोगों को भरोसा दिलाया था कि करीब 60 लाख रुपए की लागत से हिन्दी भवन बनाएंगे। इसमें 10 लाख रुपए खुद स्वतंत्रता सेनानी ने दिया है, जबकि शेष राशि जनभागीदारी तथा नगरपालिका के माध्यम से जुटाकर भवन का निर्माण नगरपालिका कराएगी। कलेक्टर ने यह भी भरोसा दिलाया था कि यह भवन तीन मंजिला बनेगा, जिसकी डिजाइन एसएटीआइ के इंजीनियर बनाएंगे। हिन्दी भवन के ग्राउंड फ्लोर पर सांस्कृतिक तथा साहित्यिक गतिविधियों के लिए बड़ा हॉल होगा। पहली मंजिल पर अन्य गतिविधियों के लिए स्थान होगा और दूसरी मंजिल पर वाचनालय बनाया जाएगा। भवन के चौतरफा उद्यान भी विकसित करने की योजना थी। लेकिन इस सबकी जगह नपा ने अनुपयोगी सा एक मंजिला भवन बनाकर खड़ा कर दिया, जिसमें एक हॉल और दो कमरे मात्र हैं। परिसर में न फेंसिंग है और न ही समतलीकरण। भवन भी डिजाइन के अनुरूप नहीं है। ओझा के बाद अनिल सुचारी फिर डॉ पंकज जैन भी कलेक्टर रह चुके हैं, सबने इसे पूर्ण कर संचालित करने का कहकर खानापूर्ति कर ली, लेकिन स्वतंत्रता सेनानी की आस कोई पूरी नहीं कर सका। और अब यहां नपा के चंद लोगों की कृपा और दरियादिली के कारण कुछ परिवारों ने अपना डेरा डाल लिया है।
सेनानी की निधि से बने हिन्दी भवन का उपयोग अब रोटी पकाने, सोने और रहने के लिए हो रहा है। अजय बाबू विश्वकर्मा का परिवार यहां हॉल और दो कमरों सहित परिसर में डेरा डाले है। हॉल में चूल्हा जलाकर इस परिवार का भोजन बनता है जबकि दो कमरों में अन्य सामान और रहना होता है। बाहर भी परिसर में इनका सामान मौजूद है। अजयबाबू का कहना है कि मैंदा मिल के पास से हम लोग अतिक्रमण विरोधी मुहिम के दौरान हटाए गए थे, तब से नगरपालिका ने हमें यहां रहने को कहा है। पूूरा परिसर अब भी ऊबड़ खाबड़ और कचरे से सराबोर है। इस भवन का ताला किसने किसके कहने पर खोला यह पता किया जाना महत्वपूर्ण है।
उधर शहीद ज्योति स्तंभ भी उपेक्षा का शिकार
स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा की ही निधि से शहीद ज्योति स्तंभ की स्थापना हुई थी, जिस पर महापुरुषों और शहीदों के नाम अंकित हैं। लेकिन नगरपालिका की उपेक्षा का शिकार इस स्मारक की बाउंड्री वाल पिछली बारिश में पूरी तरह गिर जाने के बाद अब उसकी भरपाई की जा रही है। परिसर का गेट टूटा पड़ा है। कई जगह से स्मारक के पत्थर भी उखड़ रहे हैं। लेकिन प्रशासन और नपा को इस ओर देखने की भी फुर्सत नहीं।