scriptजिले में 2 हजार 703 शिक्षकों की कमी, कैसे हो पढ़ाई | There is a shortage of 2 thousand 703 teachers in the district, how to | Patrika News

जिले में 2 हजार 703 शिक्षकों की कमी, कैसे हो पढ़ाई

locationविदिशाPublished: Jun 23, 2022 12:10:55 am

Submitted by:

Bhupendra malviya

जुगाड़ के भरोसे शिक्षण व्यवस्थाएं

जिले में 2 हजार 703 शिक्षकों की कमी, कैसे हो पढ़ाई

जिले में 2 हजार 703 शिक्षकों की कमी, कैसे हो पढ़ाई

भूपेंद्र मालवीय
विदिशा। जिले में वर्षों से शिक्षकों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। अब नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया लेकिन शिक्षकों की कमी बरकरार है। विषयवार शिक्षकों के अलावा खेल शिक्षक, संगीत शिक्षकों की कमी है तो वहीं कई स्कूलों में प्राचार्य एवं प्रधानाध्यापक जैसे करीब 2 हजार 703 पद रिक्त है और अन्य शिक्षकों को प्रभारी प्रधानाध्यापक व प्राचार्य का दायित्व सौंपकर साल भर जुगाड़ के जरिए शिक्षण व्यवस्थाएं व अध्ययन कार्य संचालित करने की नौबत बनी हुई है।

मालूम हो कि जिले में प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेंड्री स्कूलों की कुल 2 हजार 927 होना बताई गई है। इनमें अधिकांश शिक्षण संस्थाएं प्रधानाध्यापक एवं प्राचार्य विहीन है। इससे स्कूलों का सही तरीके से प्रबंधन हो पाना संभव नहीं हो पाता। वहीं विषयवार शिक्षक नहीं होने से बच्चों को भी विषय का सही ज्ञान नहीं मिल पाता। कई विषयों के शिक्षकों के लिए अतिथि शिक्षक रखने की िस्थति बनती है लेकिन इस प्रक्रिया में ही आधा सत्र निकल जाता है। वहीं परीक्षाओं के दौरान दूसरे स्कूलों में पदस्थ विषय शिक्षकों की अन्य स्कूलों में भी सेवाएं लेकर विषय शिक्षक की पूर्ति करने प्रयास होते हैं और इन िस्थतियों में बच्चे अपने विषयों में ज्यादा परिपक्व नहीं हो पाते और इसका असर बच्चों के परीक्षा परिणामों पर भी पड़ता रहा है। शिक्षा विदों का कहना है कि सीएम राइज स्कूलों को ही देखें अच्छी शिक्षा के लिए यह स्कूल शुरू किए जा रहे लेकिन इन स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति पूर्व से चल रहे स्कूलों से ही की गई जिससे अन्य स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो रही है। नए स्कूल के लिए पुराने स्कूलोंं को शिक्षकों से खाली करना ठीक नहीं है। बल्कि रिक्त पदों की पूर्ति होना चाहिए जो वर्षों बाद भी नहीं हो पा रही इससे यह नया सत्र भी शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है।
उत्कृष्ट विद्यालय में ही नहीं विषयों के शिक्षक

जिला मुख्यालय पर ही देखें जहां उत्कृष्ट विद्यालय अपने नाम से अच्छी शिक्षा मिलने का अहसास कराता है, लेकिन यहां के शिक्षक बताते हैं कि विद्यालय में विषयवार शिक्षकों की कमी है। विद्यालय में वर्तमान में यहां गणित, अंग्रेजी, फिजिक्स, इतिहास, सामाजिक शास्त्र, राजनीति शास्त्र के शिक्षकों के पद रिक्त हैं। ऐसा यह अकेला विद्यालय नहीं जिले में सभी ब्लाकों के हाई एवं हायर सेकेंड्री स्कूलों में इस तरह की नौबत बनी हुई है। इससे बच्चों को उनके विषय के शिक्षक नहीं मिल पा रहे। वहीं शिक्षकों की कमी से अधिकांश माध्यमिक व प्राथमिक स्कूल भी जूझ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षकों की कमी की िस्थति ज्यादा खराब है।
यहां प्रधानाध्यापक नहीं
इसी तरह अकेले विदिशा ब्लॉक में ही देखें जहां स्टेशन एरिया मिडिल स्कूल, धमनोदा मिडिल स्कूल, बर्रो मिडिल स्कूल, सुआखेड़ी, मिर्जापुर, रंगई आदि मिडिल स्कूल में प्रधानाध्यापक नहीं है। इसी तरह प्राथमिक शाला पीतलमिल सहित बड़ी संख्या में स्कूल ऐसे हैं जहां प्रधानाध्यापक के पद खाली है। हर ब्लॉक में ऐसी ही िस्थति है और इन रिक्त पदों का दायित्व प्रभारी प्रधानाध्यापक के शिक्षकों को निभाना पड़ रहा है। इससे विभिन्न शासकीय कार्यक्रमों, बैठकों, प्रशिक्षण आदि में भी प्रधानाध्यापक के रूप में शामिल होने से स्कूूलों का प्रबंधन ठीक से नहीं हो पाता और इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता आ रहा है।

यह है रिक्त पदों की िस्थति

पद रिक्त संख्या
प्राचार्य उमावि- 76
प्राचार्य हाई स्कूल- 108

व्याख्याता-55

प्रधानाध्यापक माध्यमिक शाला-347

उच्चतर माध्यमिक शिक्षक -588
माध्यमिक शिक्षक-1233

प्राथमिक शिक्षक-75
संगीत शिक्षक-39

प्रयोगशाला शिक्षक-182
—————————

जिले में स्कूलों की संख्या
हाई स्कूल-120

हायर सेकेंड्री-88
मिडिल स्कूल-774

प्राथमिक शाला-1945
———————————–

वर्जन
स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति पहली प्राथमिकता होना चाहिए। पर्याप्त एवं विषयवार शिक्षक स्कूलों में होंगे तभी बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिल पाना संभव होगा। जब स्कूल में प्राचार्य नहीं है तो स्कूल का प्रबंधन ठीक नहीं हो सकता।

चारू सक्सेना, सेवानिवृत्त, प्राचार्य
———————

रिक्त पदों की पूर्ति शासन स्तर पर होना है। इसके लिए समय समय पर जानकारी शासन को भेजी जाती है। शिक्षकों के रिक्त पदों से शिक्षण कार्य में समस्याएं तो आती है।
-लक्ष्मणसिंह यादव, बीआरसी

—————
स्कूलों में रिक्त पदों की पूर्ति के लिए शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। इस संबंध में शासन से जानकारी भी मंगवाई जाती है। रिक्त पदों के बाद भी मौजूद स्टॉफ से बेहतर शिक्षा के प्रयास किए जाते हैं।

-विनोद चौधरी, सहायक परियाेजना अधिकारी, शिक्षा विभाग

ट्रेंडिंग वीडियो