scriptVIDISHA…सडक़ों पर चलने जगह हो न हो, व्यापार की खुली छूट | There is no place to walk on the roads, there is a free trade | Patrika News

VIDISHA…सडक़ों पर चलने जगह हो न हो, व्यापार की खुली छूट

locationविदिशाPublished: Sep 24, 2022 04:06:28 pm

Submitted by:

govind saxena

ईंट, पत्थर, सरिया, फल-सब्जी, बर्तन, इलेक्ट्रानिक्स, कृषि यंत्र सब सडक़ों पर मिलेंगे

VIDISHA...सडक़ों पर चलने जगह हो न हो, व्यापार की खुली छूट

VIDISHA…सडक़ों पर चलने जगह हो न हो, व्यापार की खुली छूट

विदिशा. नगर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है न सही, लेकिन चलने की भी जगह मिलना मुश्किल हो गई है। एक वाहन अगर फंस गया तो घंटों जाम रहेगा। नगर की सडक़ों पर व्यापार को अभयदान मिला हुआ है। जनप्रतिनिधियों का, नेताओं का, व्यापार महासंघ का और अधिकारियों का। केवल फल-सब्जी, खोमचे और फुटपाथ पर व्यापार करने वाले ही नहीं बल्कि यहां ईंट, पत्थर, सरिया, कृषि यंत्र, टायर, गाडिय़ां, इलेक्ट्रॉनिक्स, बर्तन, कपड़े भी बीच सडक़ पर मिलेंगे। आधी से ज्यादा सडक़ों पर इन सबके व्यापारियों का कब्जा है। सबको निकलना है, सबको परेशान होना है, लेकिन इस शहर की यातायात व्यवस्था पर लगे इस दाग को कोई छुटाना भी नहीं चाहता। सडक़ें-नालियां, नाले सब बन जाते हैं लेकिन फिर उन पर कब्जे होता देखते रहना भी यहां प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का शगल बन गया है।
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अहमदपुर सडक़ पर ईंटों का व्यापार

अहमदपुर जाने वाली सडक़ पर अभिनंदन गार्डन के सामने से लेकर बिजली कंपनी के कार्यालयों के सामने और बायपास तक सडक़ पर दोनों और ईंटों से भरी दर्जनों ट्रेक्टर ट्रॉलियां ग्राहकों का इंतजार करती रहती हैं। बदहाल सडक़ से गुजरते समय अन्य वाहनों को निकलने और साइड होने के लिए जगह बचे न बचे, इससे इन ईंटों के वाहनों को कोई मतलब नहीं। ईंटों की ये ट्रालियां कई बार बेहद बेतरतीब खड़ी रहती हैं। ईंट व्यापारी अपने व्यापार के लिए इसी सडक़ को डेरा बनाए हुए हैं।
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पत्थर के पीठों को अभयदान

अहमदपुर चौराहे पर पत्थर के पीठे वर्षों से जमे हुए हैं। यहां लाखों रूपए के पत्थर का व्यापार सरकारी जमीन पर हो रहा है। सालों पहले कभी कभार यहां कार्रवाई हुई थी, लेकिन यहां फिर जम आए पत्थर व्यापारियों को किसी ने नहीं रोका, बल्कि अभयदान दे दिया गया।
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आधी सड़क पर सरियों का व्यापार

तत्कालीन कलेक्टर डॉ पंकज जैन ने करैयाखेड़ा रोड के ठीक सामने लगे ट्रांसफार्मर को सडक़ चौड़ीकरण के लिए हटवाया था। उस समय यहां के एक बड़े सरिया व्यापारी को भी उन्होंने इसलिए फटकारा था कि वह सरियों का पूरा व्यापार सरियों को सडक़ पर फैलाकर कर रहा था। कलेक्टर के सख्त रवैये को देखते हुए व्यापारी ने भी अपना व्यापार समेट लिया था, लेकिन डॉ पंकज जैन के जाने के बाद अब फिर करीब 20 फीट सडक़ पर सरिये फैलाकर व्यापार हो रहा है।
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खरीफाटक पर बर्तन, बांस, गद्दे सबखरीफाटक रोड पर अतिक्रमण की स्थिति पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। केवल सब्जी और फल विक्रेताओं को यहां से हटाकर अपनी जिम्मेदारी प्रशासन ने पूरी मान ली। यहां दुकानों से करीब दस फीट आगे तक कई व्यापारी सामान फैलाकर अव्यवस्था फैलाए हुए हैं। खाली टंकियों का व्यापार करने वालों ने करीब दस फीट तक, बर्तन, बांस और गद्दे आदि बेचने वालों ने 5 से 8 फीट तक रोड पर कब्जा कर रखा है। मालवीय उद्यान के सामने ही 10 फीट तक की जगह पर कृषि यंत्रों की नुमाइश है।
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मुख्य मार्ग पर लोडिंग वाहनों का अड्डा

नीमताल से विवेकानंद चौराहे तक जाने वाला मार्ग तो सियासी और प्रशासनिक नजरिए से सबसे अहम है। लेकिन यहां भी सब आंखें मंूदकर ही निकलते हैं। सडक़ पर दोनों ओर करीब 30-40 फीट तक की जगह पर भाड़ेे पर सामान ढोने वाले वाहनों का कब्जा है। नीमताल स्कूल से लेकर गुलाबवाटिका तक पचासों लोडिंग वाहन यहां सडक़ पर दोनों ओर जमे रहते हैं। ऐसे में सामान खरीदने दुपहिया वाहनों से आने वाले लोगों को अपने वाहन आधी सडक़ के बीच रखना पड़ते हैं।
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कराह रहा है शहर कुछ तो कीजिए सरकार….

पार्किंग की जगह नहीं है। अतिक्रमण इतना है कि लोगों का दुपहिया वाहनों से चलना मुश्किल हो रहा है। सडक़ों का चौड़ीकरण यातायात की सुविधा और सौंदर्यीकरण के लिए किया था। लेकिन आपने तो नई बनी सडक़ें बनाकर अतिक्रमणकारियों के हवाले कर दीं। नाले बनाकर फिर उन पर कब्जा करने वालों को भी नहीं टोका। करोड़ोंं की सडक़ें, नाले, नालियां बनाकर उन्हें अतिक्रमणकारियों को ही सौंपना है तो विकास की बात ही क्यों? शहर अतिक्रमण के कारण कराह रहा है। केवल गुमठियों, सब्जी-फल और फुटपाथ पर सौ-पांच सौ रूपए का व्यापार करने वालों को हटाना ही अतिक्रमण से मुक्ति नहीं, बड़े व्यापारियों पर भी लगाम कसिए जो सडक़ पर 20-20 फीट कब्जे कर लाखों-करोड़ों का व्यापार कर रहे हैं।
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