विदिशा

खेतों से दूर मंडी में किसानी का ये रंग भी…

मंडी में इन दिनों ऐसे ही नजारे हैं, कुछ ताश खेलकर तो कुछ मोबाइल पर फिल्मेेंं देखकर अपना समय बिता रहे हैं

विदिशाDec 03, 2021 / 08:48 pm

govind saxena

खेतों से दूर मंडी में किसानी का ये रंग भी…

विदिशा. आसान नहीं खेती किसानी करना। खेतों की तैयारी, खाद बीज का इंतजाम, बुवाई, सिंचाई, कीटों से सुरक्षा के साथ ही मवेशियों से भी बचाव का इंतजाम। खरतपतवार नष्ट करना और फिर पकने पर उसकी कटाई। बीच में ही कहीं प्रकृति का प्रकोप सिर चढकऱ बोला तो सब मेहनत पर देखते ही देखते पानी फिर जाता है। बमुश्किल उम्मीदों की फसल खलिहानों में पहुंचती है और फिर उसे मंडी में ले जाकर साल भर के भरण पोषण का इंतजाम, कर्जा चुकाने, बेटे-बेटियों की शादी और फिर अगली फसल की तैयारी के लिए पैसों का इंतजाम करता है किसान। लेकिन मंडी में भी कई बार उसे कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है। लंबी कतारें, दाम का अचानक गिर जाना और तमाम तरह की दिक्कतें। जब कभी समय से नीलामी नहीं हो पाती तो कभी खुले में अपनी ही ट्राालियों में रखी उपज पर सर्द रातें काटने और अनाज की रखवाली में बीतता है। मंडी में इन दिनों ऐसे ही नजारे हैं। कहीं नीलामी हो रही है तो कहीं नीलामी के इंतजार में किसान अपनी ट्रालियों पर सो रहे हैं, कुछ ताश खेलकर तो कुछ मोबाइल पर फिल्मेेंं देखकर अपना समय बिता रहे हैं। खाना-पीना, सोना और मनोरंजन सब ट्रालियों पर ही हो रहा है। ऐसे में कई किसान तो परिसर में ही बांटी बनाकर अपना गुजारा कर रहे हैं तो कई लोग सरकारी योजना के तहत खाना लेकर पेट भर रहे हैं। जबकि कुछ किसान ट्रालियों पर अपने साथियों को रखवाली के लिए छोडकऱ बाजार में भी होटलों पर अपना पेट भर रहे हैं।
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