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आतिशबाजी के बीच हजारों आंखों ने देखा रावण का अंत

locationविदिशाPublished: Jan 25, 2021 08:08:05 am

Submitted by:

govind saxena

ऐतिहासिक रामलीला का 120 वां वर्ष

आतिशबाजी के बीच हजारों आंखों ने देखा रावण का अंत

आतिशबाजी के बीच हजारों आंखों ने देखा रावण का अंत

विदिशा. ऐतिहासिक रामलीला के 120 वें वर्ष में रविवार को राम-रावण के भीषण युद्ध और फिर आतिशबाजी के बाद अन्याय का प्रतीक रावण मारा गया। यह लीला देखने के लिए परिसर में हजारों दर्शक मौजूद थे और बार-बार पूरा परिसर राम के जयकारों से गूंज रहा था। इस दौरान 51 देवियों के दर्शन, रावण का यज्ञ विध्वंस, माया युद्ध में अनेकों रावणों का युद्ध करते दिखाई देना और फिर युद्ध मैदान में राम-रावण के चारों ओर रणचंडी तथा काल भैरव का नृत्य देखने लायक था। रावण का वध हुआ और फिर अतिशबाजी के बाद रामलीला परिसर में ही 31 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन हुआ। रावण के पुतले में आग लगते ही हजारों दर्शकों की परिसर में जोर की आवाज गूंज पड़ी…जय..जय श्री राम…।
परिसर में 51 देवियों ने दिए दर्शन
दोपहर करीब 4 बजे गणेश- सरस्वती के दर्शन और परिक्रमा से शुरू हुई रामलीला में रथों और पालकियों में सवार होकर 51 देवियां परिसर में दर्शन देने निकलीं। इनमें एक रथ पर महालक्ष्मी, महाकाली और महा सरस्वती विराजमान थीं, जिनके आगे भैरव नृत्य करते हुए चल रहे थे। देवियों की यह झांकी…अंबे जय जय जगदंबे काली… की आरती के साथ पूरे परिसर में गाजे-बाजे के साथ घुमाई गई।
यज्ञ विध्वंस होने से विचलित हुआ रावण
राम-रावण के बीच तीन बार भीषण युद्ध हुआ। पहले युद्ध का नतीजा नहीं निकलने के बाद रावण विजयी यज्ञ के लिए बैठा और आहुतियां देने लगा। लेकिन रामादल में इसकी खबर लगते ही हनुमान के साथ गई सेना ने रावण का यज्ञ विध्वंस कर दिया। इससे विचलित रावण फिर युद्ध मैदान में आ पहुंचा। इस युद्ध का भी नतीजा नहीं निकला तो उसने माया से राम-लक्ष्मण के कटे सिर बनाए और उन्हें सीता के सामने पेश कर कहा कि ये दोनों मारे गए, अब मुझसे विवाह कर लो।
राम ने देवी और रावण ने की शिव आराधना
युद्ध में जीत के लिए राम और रावण दोनों ने शक्तियों का आव्हान किया। राम-लक्ष्मण ने जहां शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा की आराधना की, वहीं रावण ने युद्ध में अपनी जीत के लिए महाकाल शिव की आराधना की। फिर दोनों की सेनाओं के बीच युद्ध के नगाड़ों के बीच भीषण युद्ध हुआ। इस दौरान रावण ने माया युद्ध किया और युद्ध मैदान में एक साथ कई रावण युद्ध और अट्टहास करते नजर आए।
शोभायात्रा में शामिल हुए गणमान्य लोग
रामलीला के दौरान रावण वध से पहले प्रथम प्रधान संचालक पं. विश्वनाथ मिश्र शास्त्री, द्वितीय प्रधान संचालक पं. चंद्रशेखर मिश्र और तृतीय प्रधान संचालक पं. चंद्रमौलि शास्त्री की शोभायात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। इस शोभायात्रा में तीनों प्रधान संचालकों की तस्वीरें रथ में रखी गईं थीं। इस शोभायात्रा में रामलीला समिति के पदाधिकारियों के साथ ही शहर के गणमान्य लोग भी शामिल हुए।
युद्ध मैदान में रणचंडी और भैरव का नृत्य
रामलीला के अंतिम चरण में राम-रावण के बीच हो रहे भीषण युद्ध के दौरान हाथ में जलती हुई आग का खप्पर और खड्ग लिए रणचंडी तथा त्रिशूल घुमाते भैरव का नृत्य, पूरे माहौल मेें विचित्र सी आवाजें, युद्ध के नगाड़े और युद्ध मैदान में उड़ता धुंआ पूरे माहौल में दहशत भर रहे थे, जिससे दर्शक बहुत रोमांचित हो रहे थे। इसी युद्ध में रावण का अंत हुआ और पूरा परिसर जय जय श्रीराम के उद्घोषों से गूंज उठा।
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