डिप्टी कलेक्टर खुद डीईओ के पास ले कर गए। पहली प्राथमिकता के तौर पर तीनों विद्यार्थियों का एमपी बोर्ड से परीक्षा फार्म भरवाने के प्रयास करने को कहा है जिससे उनका साल बर्बाद न हो।
उधर स्कूल प्रबंधन ने बच्चों के पूरक परीक्षा में भी फेल हो जाने और देर से आने के कारण सीबीएसई से अनुमति न मिलने की मजबूरी बताते हुए टीसी देने की बात कही है।
सुबह स्कूल प्रबंधन ने तीनों छात्र विवेक धाकड़, मनीष रघुवंशी और मनीष बघेल को यह कहकर टीसी थमा दी कि उनका सीबीएसई में फार्म नहीं भरा पाया है इसलिए वे किसी एमपी बोर्ड के स्कूल से अपना परीक्षा फार्म भर दें।
सुबह स्कूल प्रबंधन ने तीनों छात्र विवेक धाकड़, मनीष रघुवंशी और मनीष बघेल को यह कहकर टीसी थमा दी कि उनका सीबीएसई में फार्म नहीं भरा पाया है इसलिए वे किसी एमपी बोर्ड के स्कूल से अपना परीक्षा फार्म भर दें।
इसके बाद हंगामा मच गया और कुछ देर बाद पता चला कि दो छात्र तो मिल गए, लेकिन एक का पता नहीं है। छात्रों के साथ उनके अभिभावक कलेक्ट्रेट जा पहुंचे। डिप्टी कलेक्टर बृजेन्द्र यादव को सारी घटना बताई तो यादव उन्हें अपने साथ डीईओ एसपी त्रिपाठी के पास ले गए।
डीईओ ने उत्कृष्ट प्राचार्य से चर्चा कर इन तीनों छात्रों का एमपी बोर्ड से परीक्षा फार्म भरवाने को कहा ताकि इनका साल बर्बाद न हो। डीईओ ने स्कूल प्रबंधन से भी बात की है। इसके बाद डीईओ अभिभावकों से कहा है कि वे लिखित में दें तो स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई होगी।
जान देने चले थे बच्चे
ग्राम वर्धा के वीरेन्द्र सिंह धाकड़ का आरोप है कि संस्थान के छात्र विवेक धाकड़, सहित तीनों बच्चों को स्कूल से बीच सत्र में टीसी थमा दी गई। ऐनवक्त पर स्कूल से निकाले जाने से घबराए बच्चे बिना टीसी के ही स्कूल से भाग गए।
ग्राम वर्धा के वीरेन्द्र सिंह धाकड़ का आरोप है कि संस्थान के छात्र विवेक धाकड़, सहित तीनों बच्चों को स्कूल से बीच सत्र में टीसी थमा दी गई। ऐनवक्त पर स्कूल से निकाले जाने से घबराए बच्चे बिना टीसी के ही स्कूल से भाग गए।
स्कूल प्रबंधन से घर पर फोन आया तो हम लोग भागे-भागे आए और बच्चों की तलाश शुरू की। दोपहर बाद बच्चों का पता चला। बच्चों का एक साल पूरक परीक्षा के कारण बर्बाद हो चुका था, स्कूल प्रबंधन की गलती से ये दूसरा साल भी बर्बाद हो रहा था, इस डर से बच्चे आत्महत्या के लिए चले गए थे। भगवान की कृपा से तीनों मिल गए।
छात्रों का एमपी बोर्ड से फार्म भरवाने को उत्कृष्ट प्राचार्य से कहा है। स्कूल डायरेक्टर से भी बात की है। आवेदकों ने अभी पूरी बात मौखिक की है। लिखित में शिकायत आएगी तो जांच कराकर स्कूल प्रबंधन पर भी कार्रवाई करेंगे।
– एसपी त्रिपाठी, जिला शिक्षाधिकारी विदिशा
न फीस भरी, न समय पर आए: जाट…
स्कूल संचालक नरेन्द्र सिंह जाट का कहना है कि ये छात्र पिछले वर्ष दसवीं में थे, पूरक आई थी, पूरक में भी फेल हो गए। फिर अभिभावकों ने कैसे भी इन्हें स्कूल में ही रखने की बात कही।
स्कूल संचालक नरेन्द्र सिंह जाट का कहना है कि ये छात्र पिछले वर्ष दसवीं में थे, पूरक आई थी, पूरक में भी फेल हो गए। फिर अभिभावकों ने कैसे भी इन्हें स्कूल में ही रखने की बात कही।
फीस का एक पैसा जमा नहीं किया। हमने इन्हें स्कूल में रखा लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी जब सीबीएसई में किसी तरह इनका प्रवेश नहीं हुआ तो हमने टीसी देते हुए कहा कि कहीं और से प्रायवेट फार्म भर दें। बच्चे और पैरेंट्स साथ आए थे।