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पुलिस, राजस्व और कृषि विभाग की उपस्थिति में बंट रहा यूरिया

locationविदिशाPublished: Dec 05, 2019 03:24:16 pm

Submitted by:

Anil kumar soni

नायब तहसीलदार ने लिया व्यवस्थाओं का जायजा

यूरिया की रैक पहुंची, नहीं रहेगी खाद की कमी

Urea rack reached, no shortage of fertilizer

विदिशा। जिले में यूरिया की किल्लत किस तरह चल रही है। इसकी बानगी रामलीला स्थित वेयरहाउस में देखने को मिली। वेयरहाउस खुलने के पूर्व ही सुबह नौ बजे से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान वेयरहाउस पहुंचने लगे थे। किसानों की भीड़ अधिक होने के कारण पुलिस के साथ ही राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों की निगरानी में दिनभर यूरिया वितरित की गई। शाम पांच बजे तक 600 से अधिक किसानों को यूरिया दिया जा चुका था। इसके बाद भी दर्जनों किसान यूरिया लेने के लिए कतारों में थे। नायब तहसीलदार प्रमोद उईके ने दोपहर को वहां जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और किसानों की समस्याएं सुनी।

सुबह से जैसे ही किसान वेयरहाउस पहुंचना शुरु हुए, तो देखते ही देखते 10 बजे ही यहां किसानों की खासी भीड़ देखने को मिली। 10 बजे किसानों की ऋण पुस्तिका जमा करने का सिलसिला शुरु हुआ। 25 से 50 ऋण पुस्तिकाएं लेने के बाद इन किसानों को वेयरहाउस के दूसरे गेट से यूरिया दी जा रही थी। प्रत्येक किसान को प्रत्येक ऋण पुस्तिका पर पांच-पांच बोरी यूरिया नकद भुगतान पर दिया गया। शाम तक यूरिया वितरण का कार्य चलता रहा। केंद्र प्रभारी घनश्याम मालवीय ने बताया कि दिनभर में 600 किसानों की ऋण पुस्तिका के आधार पर किसानों को यूरिया का वितरण किया गया।


शाम तक करते रहे इंतजार
जिन किसानों की ऋण पुस्तिका जमा हो गईं थीं, उन्हें तो शाम तक यूरिया मिल गया था। लेकिन कई किसान दो दोपहर बाद आए थे, उनकी ऋण पुस्तिकाएं शाम तक जमा नहीं हो सकीं और वे यूरिया के इंतजार में शाम तक वेयरहाउस पर ही रूके रहे। इस दौरान वे यूरिया के लिए कभी केंद्र प्रभारी, तो कभी पटवारी या कृषि विभाग अधिकारियों से गुहार लगाते देखे गए।

सोसायटियों पर यूरिया नहीं मिलने से बने हालात
जिलेभर की अधिकांश सोसायटियों पर किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रहा है। कहीं यूरिया नहीं है, तो कहीं किसानों को डिफाल्टर बताकर यूरिया नहीं दिया जा रहा। ऐसे में जैसे ही वेयरहाउस से यूरिया बंटने की जानकारी लगी, तो किसानों की भीड़ उमड़ी। जिलेभर में किसान यूरिया के लिए परेशान है। यूरिया यदि कहीं दिया भी जा रहा है, तो किसानों की मांग के अनुरूप पर्याप्त यूरिया नहीं मिल पा रहा है। जिससे किसान परेशान है।

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