अपने हक के लिए लड़ रहे हम
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ जिलाध्यक्ष मिथलेश श्रीवास्तव ने बताया कि हमने 10 मार्च से हड़ताल और धरने की अनुमति ली थी। 11 से पंडाल लगाया, उसी दिन राज्यपाल की मौजूदगी में प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन था। फिर भी सैंकड़ों कार्यकर्ता और सहायिकाएं धरने में शामिल हुईं। लेकिन इसके बाद अब तो जिले में 2356 केंद्रों के ताले ही नहीं खुल पा रहे हैं। अपने हक की लड़ाई लडऩे बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और सहायिकाएं भरी गर्मी में धरने पर डटी हैं। पूरे जिले से कार्यकर्ता और सहायिकाएं यहां आईं हैं। हमारी मांग है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को नियमित किया जाए। मिनी केंद्रों को सामान्य केंद्र के रूप में तब्दील किया जाए। रिटायरमेंट के समय प्रोत्साहन राशि दी जाए। इसके अलावा अन्य मांगों पर भी ध्यान दिया जाए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ जिलाध्यक्ष मिथलेश श्रीवास्तव ने बताया कि हमने 10 मार्च से हड़ताल और धरने की अनुमति ली थी। 11 से पंडाल लगाया, उसी दिन राज्यपाल की मौजूदगी में प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन था। फिर भी सैंकड़ों कार्यकर्ता और सहायिकाएं धरने में शामिल हुईं। लेकिन इसके बाद अब तो जिले में 2356 केंद्रों के ताले ही नहीं खुल पा रहे हैं। अपने हक की लड़ाई लडऩे बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और सहायिकाएं भरी गर्मी में धरने पर डटी हैं। पूरे जिले से कार्यकर्ता और सहायिकाएं यहां आईं हैं। हमारी मांग है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को नियमित किया जाए। मिनी केंद्रों को सामान्य केंद्र के रूप में तब्दील किया जाए। रिटायरमेंट के समय प्रोत्साहन राशि दी जाए। इसके अलावा अन्य मांगों पर भी ध्यान दिया जाए।
इन्हें सबसे ज्यादा परेशानी
इस बीच जिले भर के आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद रहने से वहां आने वाले बच्चों और गर्भवती माताओं को पोषण आहार, भोजन और नाश्ता बंद हो गया है। इससे सबसे ज्यादा प्रभाव आदिवासी, बंजारों और ऐसे ही गरीब-मजदूर वर्ग के इलाकों के बच्चों पर पड़ रहा है। हड़ताल लंबी चली तो बच्चों का टीकाकरण, वजन और उनकी सेहत से जुड़े तमाम कार्य प्रभावित होंगे।
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जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की हड़ताल से 1800 आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। वरिष्ठ कार्यालय को अवगत करा दिया गया है। वहां से मिले निर्देशों के तहत कार्यकर्ताओं को समझाइश दी जा रही है।
-बृजेश शिवहरे, जिला महिला बाल विकास अधिकारी विदिशा
इस बीच जिले भर के आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद रहने से वहां आने वाले बच्चों और गर्भवती माताओं को पोषण आहार, भोजन और नाश्ता बंद हो गया है। इससे सबसे ज्यादा प्रभाव आदिवासी, बंजारों और ऐसे ही गरीब-मजदूर वर्ग के इलाकों के बच्चों पर पड़ रहा है। हड़ताल लंबी चली तो बच्चों का टीकाकरण, वजन और उनकी सेहत से जुड़े तमाम कार्य प्रभावित होंगे।
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जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की हड़ताल से 1800 आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। वरिष्ठ कार्यालय को अवगत करा दिया गया है। वहां से मिले निर्देशों के तहत कार्यकर्ताओं को समझाइश दी जा रही है।
-बृजेश शिवहरे, जिला महिला बाल विकास अधिकारी विदिशा