वर्धा की आबादी करीब 7 हजार है, इसके अलावा आसपास के कई गांव इससे जुड़े हैं, इसलिए लोगों का यहां आना जाना भी खूब है। लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं केवल कागजों पर ही हैं। इसलिए वर्धा में बिना डिग्री के इलाज करने वालों का धंधा वर्षों से खूब फल फूल रहा है।
वर्धा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना 2017 में हुई थी, यहां अच्छा खासा भवन है, एक चिकित्सक सहित फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, नर्स और वार्ड ब्वॉय भी यहां पदस्थ है। लेकिन डॉक्टर यदा कदा ही आती हैं और फार्मासिस्ट और लैब टेक्नीशियन को नटेरन में अटैच कर रखा गया है। इससे यहां अब केवल नर्स और वार्ड ब्वॉय ही हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि डॉ. समीक्षा तिवारी यहां पदस्थ तो हैं, लेकिन कोरोना काल में भी वे यहां कभी कभार ही आती हैं और घंटे-दो घंटे रुककर चली जाती हैं। दूर दराज से आने वाले ग्रामीण इलाज के लिए यहां आते हैं तो उन्हें अस्पताल में कोई नहीं मिलता, ऐसे में उन्होंने यहां आने की बजाय अब प्रायवेट इलाज पर ही निर्भर रहना सीख लिया है।
सरपंच प्रहलाद सिंह कुशवाह का कहना है कि कल मैने ग्रामीणों के साथ अस्पताल का निरीक्षण किया था, लेकिन यहां डॉक्टर नहीं थीं। पंचनामा बना लिय गया है, जिसे कार्रवाई के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाएगा।
कल मैने दोपहर 1.30 बजे वर्धा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया था, लेकिन डॉक्टर अनुपस्थित थीं। उनका आधा दिन का वेतन काटने के साथ ही नोटिस देने के निर्देश दिए हैं। पिछले महीने भी निरीक्षण में वे दो दिन से गायब मिलीं थीं।
-डॉ नीतू सिंह राय, बीएमओ नटेरन.