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हैदरगढ़ विद्युत सब स्टेशन में टपकता है पानी

हैदरगढ़ विद्युत सब स्टेशन का भवन जर्जर हो जाने के कारण बारिश में छत से पानी टपकता है। पानी से सुरक्षा के लिए सब स्टेशन पर लगी बड़ी-बड़ी मशीनों को पॉलीथिन से ढांका गया है।

विदिशाJul 09, 2018 / 09:54 am

वीरेंद्र शिल्पी

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बिना लाइनमेन के 50 गांवों में संचालित हो रही बिजली व्यवस्था

विदिशा/ग्यारसपुर/हैदरगढ़. हैदरगढ़ विद्युत सब स्टेशन का भवन जर्जर हो जाने के कारण बारिश में छत से पानी टपकता है। पानी से सुरक्षा के लिए सब स्टेशन पर लगी बड़ी-बड़ी मशीनों को पॉलीथिन से ढांका गया है। फिर भी पानी मशीन तक पहुंच जाता है। ऐसे में बारिश में करंट फैलने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

विद्युत वितरण कंपनी की उदासीनता के चलते हैदरगढ़ विद्युत सब स्टेशन पर एक नहीं कई समस्याएं व्याप्त हैं। जिसके चलते यहां काम करने वाले कर्मचारियों के अलावा बिजली गुल होने पर शिकायत करने आने वाले उपभोक्ताओं के साथ ही अन्य नागरिक भी परेशान होते हैं। बारिश के मौसम में यहां काम करने वाले कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं और उन्हें हमेशा करंट फैलने का डर लगा रहता है। सब स्टेशन का ग्राउंड भी कच्चा होने के कारण बारिश में यहां चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है।

उजाले के तक नहीं इंतजाम
हैदरगढ़ विद्युत सब स्टेशन से आसपास के 42 गांव में विद्युत प्रदाय की जाती है। लेकिन आसपास के गांव में उजाला करने वाले हैदरगढ़ विद्युत सब स्टेशन परिसर में स्ट्रीट लाइट के अभाव में शाम होते ही अंधेरा फैल जाता है। जिसके चलते यहां के कर्मचारियों के साथ ही शिकायत करने आने वाले उपभोक्ता परेशान होते हैं। ऐसे में रात को आवश्यकता पडऩे पर रोशनी के लिए ऑपरेटर स्वयं टार्च लेकर आते हैं।

पीने के पानी व शौचालय के भी नहीं इंतजाम
विद्युत वितरण कंपनी के इस सब स्टेशन में काम करने वाले ऑपरेटर और अन्य बिजली कर्मचारियों के लिए पीने के पानी के तक इंतजाम नहीं हैं। जिसके चलते कर्मचारियों को पीने का पानी घर से लाना पड़ता है। जिसके खत्म हो जाने पर दिक्कत होती है। इसके अलावा शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में कर्मचारी को यदि शौचादि के लिए जाना हो तो उस पर भारी मुसीबत आ जाती है।

पहुंच मार्ग भी खस्ताहाल
इस विद्युत सब स्टेशन का पहुंच मार्ग भी अब तक पक्का नहीं किए जाने के कारण बारिश में यह मार्ग कीचड़ से सराबोर हो जाता है। ऐसे में यहां काम करने आने वाले ऑपरेटर को अपनी मोटरसाइकिल दूर सड़क पर ही खड़ी करना पड़ती है और कीचड़ से निकलकर वे सब स्टेशन तक पहुंचते हैं।

जान जोखिम में डालकर करते हैं काम
कहीं भी विद्युत फाल्ट आदि आने पर उसे सुधारने जाने के लिए कर्मचारियों के पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं। स्थिति यह है कि कर्मचारियों को बारिश में पहनने के लिए सुरक्षा जूते तक नहीं दिए गए हैं।

 

एक फाल्ट पर 42 गांव की हो जाती है बिजली गुल
हैदरगढ़ से माता सेमरा गांव करीब 20 किलोमीटर दूर है अब ऐसे में यदि माता सेमरा में कोई फाल्ट आता है तो 42 गांव के साथ हैदरगढ़ की भी बिजली गुल रहती है। जिससे आक्रोषित ग्रामीण एक बार फीडर में तालाबंदी कर प्रदर्शन भी कर चुके हैं और हैदरगढ़ के लिए एक अलग बी

हैदरगढ़ के हों अलग इंतजामात
विद्युत वितरण कंपनी के ऑपरेटर उमाशंकर, एरघुवीर सिंह लोधी और राहुल दुबे ने बताया कि जब से ग्रामीणों ने ताला बंदी का प्रदर्शन किया है तब से वे खुलकर काम नहीं कर पा रहे हंै। जब भी फाल्ट आता है ग्रमीणों के फोन आना चालू हो जाते हैं और कई बार विवाद की स्थिति बनती है। हैदरगढ़ की व्यवस्था अलग कर दी जाए, तो उपभोक्ता को भी कोई दिक्कत नहीं आएगी और स्टॉफ भी सुचारू रूप से काम कर सकेगा।

इनका कहना है
हैदरगढ़ विद्युत सब स्टेशन में जो अव्यवस्थाएं हैं वो आपके द्वारा मुझे ज्ञात हुई हैं।। इसमें सुधार किया जाएगा, जिससे सभी को सुविधा हो। वहीं हैदरगढ़ फीडर अलग करने वाली बात मेरी जानकारी में आई थी उसमें अभी थोड़ा समय लगेगा। – लोकेन्द्र सिंह सरल, एसडीएम, ग्यारसपुर

 

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