प्रबंधक घनश्याम मालवीय ने बताया कि सैकड़ों किसानों के बीच टोकन प्राप्त 150 किसानों यूरिया का वितरण कर पाना मुश्किल था। सभी किसान यूरिया चाहते थे। स्थिति को देखते हुए अन्य सभी किसानों को आश्वस्त किया कि अभी सर्फ 150 किसानों को यूरिया वितरित करने की व्यवस्था है। रैक आ चुकी और कल आप सभी को यूरिया मिल जाएगा। इस बात पर किसान सहमत हो गए। इसके लिए किसानों ने अपनी किताबें भी जमा की और वापस लौटे।
यहां वेयर हाउस में यूरिया के इंतजार में खड़़े कस्बाखेड़ी निवासी कमलसिंह अहिरवार बताया कि वह 35 किलोमीटर दूर से आया है। तीन दिन से आ रहे और आने जाने में 300 रुपए खर्च हो चुके पर यूरिया आज भी नहीं मिली। इसी तरह बारेलाल का कहना है कि खाद मिलने की उम्मीद में एक दिन पूर्व टे्रक्टर-ट्राली लेकर आ गए थे। एक हजार रुपए खर्च हुए पर यूरिया नहीं मिली।
इन किसानों का कहना है कि सरकार की ऋण माफी योजना के कारण वे डिफाल्टर हो गए और अब उन्हें सोसायटी से खाद नहीं मिल पा रहा और इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। मालूम हो कि जिले में इस बार करीब 5 लाख 25 हजार हैक्टेयर में रबी की बोवनी हुई है। इसमें सर्वाधिक करीब 3 लाख हैक्टेयर रकबा गेहूं का है। इसके अलावा चना, मसूर आदि फसलें हैं। गेहूं का रकबा गत वर्ष की अपेक्षा 65 हजार हैक्टेयर बढ़ जाने से यूरिया की भी मांग बढ़ गई।
किसान नेताओं का कहना है कि यूरिया को लेकर प्रशासन की पूर्व तैयारी नहीं रही। शासकीय व निजी तौर पर यूरिया की आवश्यकता पर ध्यान नहीं दिया गया वहीं डिफाल्टर किसानों की संख्या और उन्हें यूरिया उपलब्ध कराने की तरफ भी नहीं सोचा गया। इन सभी स्थितियों के रहते किसानों को पर्याप्त यूरिया उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जिले मेें कई स्थानों पर हंगामें एवं प्रदर्शन के बाद बिना पुलिस की तैनाती के यूरिया का वितरण नहीं हो पा रहा है।