पति ने रिश्तेदारों के माध्यम से इस मनमुटाव को दूर करना चाहा पर कोई हल नहीं निकला तो पति ने छह माह पूर्व न्यायालय में याचिका दायर की। पति-पत्नी कुटुम्ब न्यायालय आते रहे पर समझौता नहीं हो पा रहा था। आज लोक अदालत के दिन कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एमपी तिवारी ने दोनों पक्षों को काफी देर समझाया जिससे वे साथ रहने को राजी हुए। दोनों पक्ष अदालत से खुशी-खुशी रवाना हुए।
इस तरह परिवार संबंधी अन्य मामले कुटुंब न्यायालय में रहे जिससे यहां विभिन्न परिवारों के पक्षों का दिनभर आना जाना रहा। सभी अपना अपना पक्ष रख रहे थे। कुटुम्ब न्यायालय से मिली जानकारी के अनुसार न्यायालय में परिवार व भरण पोषण से संबंधी 15 प्रकरणों का निराकरण हुआ है। इसमें 6 प्रकरण परिवार संबंधी एवं 9 प्रकरण भरण पोषण से संबंधित रहे।