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मर जाएंगे पर घर नहीं टूटने देंगे

locationविदिशाPublished: Mar 02, 2019 11:26:52 am

Submitted by:

Bhupendra malviya

रेलवे की कारवाई से रहवासी नाराज है। उनका कहना है कि मार जाएंगे पर अपने घरों को नहीं टूटने देंगे।

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मर जाएंगे पर घर नहीं टूटने देंगे

विदिशा। रेलवे की अतिक्रमण विरोधी मुहिम का गुस्सा अब सड़कों पर उतर आया है। गुरुवार को शेरपुरा टीला क्षेत्र के रहवासी बड़ी संख्या में तहसील कार्यालय पहुंचे और रेलवे द्वारा तोड़े जा रहे घरों का कार्य तत्काल रुकवाने की मांग की। आक्रोशित लोगों का कहना है कि हम मर जाएंगे पर घर नहीं टूटने देंगे और इस स्थिति के लिए पूरी तरह जिला प्रशासन एवं रेलवे जिम्मेदार होगा। दो सौ से अधिक संख्या में यह सभी रहवासी शेरपुरा में एकत्रित हुए और वहां से जुलूस के रूप में विधायक शशांक भार्गव के निवास पहुंचे। जहां विधायक ने उनकी बात सुनी और जिला प्रशासन के अधिकारियों से चर्चा की। यहां से सभी रहवासी कलेक्टर बंगले पहुंचे, लेकिन कलेक्टर मिलने नहीं आ पाए।

यहां तहसीलदार आशुतोष शर्मा ने इनकी बात सुनकर उन्हें अपने कार्यालय बुलाया। यहां से जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए रहवासियों की यह भीड़ तहसील कार्यालय पहुंची। तहसीलदार ने पौंछे वृद्धा के आंसू इस दौरान रहवासियों का कहना रहा कि वे पचास वर्ष से अधिक समय से यहां रह रहे। उन्हें पट्टे मिले हुए हैं और अब रेलवे उनके आवास को तोडऩे की कार्रवाई कर रहा। हम ऐसा किसी हाल में नहीं होने देंगे मर जाएंगे पर अपने आशियाने नहीं तोडऩे देंगे। इस दौरान एक वृद्धा अपनी व्यथा बताते हुए रो पड़ी वह तहसीलदार के पैरों की तरफ झुकी तो तहसीलदार शर्मा ने उसके हाथ पकड़ लिए।

उसके आंसू पौछे और आश्वस्त किया कि अब कोई घर नहीं टूटेंगे। परेशान मत होइए। मैं आपके साथ हूं। इस दौरान कुछ रहवासियों ने उनके घर टूट जाने की जानकारी दी तो उन्हें भी आश्वस्त किया कि उनकी नियमानुसार व्यवस्था कराई जाएगी। जिला प्रशासन पर लगाए आरोप इस दौरान क्षेत्र के पूर्व पार्षद दीपक बाजपेयी ने तहसीलदार से चर्चा के दौरान आरोप लगाए कि आप लोग भाजपा के कहने पर काम कर रहे। इन लोगों को जबर्दस्ती हटाया जा रहा। हम कांगे्रस सरकार लाए तो आप लोग चिड़ रहे हैं। इस दौरान रहवासियों ने कहा कि प्रशासन सो रहा है।

हमारे आशियाने उजाड़े जा रहे लेकिन एक बार भी कलेक्टर, तहसीलदार व अन्य अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। रेलवे की जगह थी तो हमें वहां पर क्यों पट्टे दिए गए। इधर बस्ती में खौफ व गुस्सा यहां से जुलूस की शक्ल में रहवासी वापस शेरपुरा टीला पहुंचे और रेलवे द्वारा की जा रही कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन किया। पूरी बस्ती में अतिक्रमण हटाने का खौफ और गुस्सा दिखाई दिया। रहवासियों के चेहरों से मुस्कान छिन गई। बच्चों की परीक्षाएं हैं लेकिन पढ़ नहीं पा रहे।

मजदूर मजदूरी पर नहीं जा पा रहे उन्हें डर है कब जेसीबी मशीन आ जाए और उनके घर तोडऩे लगे। इस बस्ती में करीब 150 से अधिक मकान और दो हजार से अधिक लोग रहते हैं। मंगलसिंह पाल, नीरज रघुवंशी, दीनानाथ सूर्यवंशी, अन्नू बाल्मीकि, बजुर्ग डिम्मोबाई, कमलाबाई सभी का कहना है कि पीढिय़ों से यहां रह रहे। हमारे पास पट्टे हैं। हम कहीं नहीं जाएंगे और अपने आशियाने किसी भी हाल में नहीं टूटने देंंगे।

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