जिले में उपमंडियों की जरूरतों को देखते हुए वर्षों पूर्व पीपलखेड़ा, कागपुर, अहमदपुर एवं खामखेड़ा में उपमंडियां शुरू की गई थी, लेकिन अब यह मंडियां निष्क्रिय है। इससे किसानों को करीब 35 किलोमीटर दूर से जिला मुख्यालय अनाज मंडियों में अनाज विक्रय करने आना पड़ता है। कारण यह कि इन मंडियों में व्यापारी नहीं है। वहीं गुलाबगंज व कुरवाई मंडी भी व्यवस्थित है लेकिन वहां बहुत कम व्यापारी होने से किसानों को अनाज का प्रतिस्पर्धी दाम नहीं मिलता जिससे किसानों को अन्य मंडियों में अनाज के क्रय-विक्रय के लिए जाना पड़ता है।
मंडी कर्मचारियों के अनुसार मंडियों से नए उद्यमियों के जुडऩे से जिले की अक्रियाशील मंडी में कारोबार हो सकेगा। मंडी में अधिक व्यापारी होने से किसानों को अनाज के प्रतिस्पर्धी दाम मिल पाएंगे। किसानों को अन्य मंडियों में अनाज बेंचने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। मंडियों को मंडी शुल्क प्राप्त होगा। अवैध व्यापार भी नियंत्रित हो सकेगा। वहीं युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे।
इन मंडियों में मंडी बोर्ड द्वारा आवश्यक साधन जुटाए जाना भी योजना भी शामिल है। इसके तहत गोदाम निर्माण, कार्यालय भवन में कंप्यूटर उपकरण, इंटरनेट, वाइ-फाई कनेक्शन के अलावा उद्यामियों के लिए उप मंडी प्रांगणों में बीओटी आधार पर तौल कांटे एवं केंटीन तथा वेयर हाउस संचालन में प्राथमिकता दी जाएगी।
विदिशा अनाज मंडी में इस व्यवसाय से जुडऩे के लिए अब तक 10 आवेदन आ चुके। मंडी कर्मचारियों ने बताया कि आवेदन अभी जमा कराए जा रहे। इसके बाद इन उद्यामियों का चयन कर इन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन उद्यमियों को एक वर्ष में 100 दिन व्यवसाय करना आवश्यक होगा। इन नए उद्यामियों को रियायती ब्याज दर पर 5 वर्ष की समयसीमा के लिए अधिकतम 20 लाख रुपए की ऋण सीमा उपलब्ध कराई जाएगी।