हरसिद्धि माता मंदिर (उज्जैन)- 51 शक्तिपीठों में से एक जहां माता सती की कोहनी गिरी थी।
शारदा माता मंदिर (मैहर)- 108 शक्तिपीठो में से एक चमत्कारी मंदिर जहां आपको माता के दर्शन के लिए 1001 सीढ़ियां चढ़नी होगी।
शोन्देश माता मंदिर (अमरकंटक)- एक और शक्तिपीठ जहां माता सती का बायां नितंब गिरा था।
मां पीतांबरा पीठ (दतिया)- यहां शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी और राजसत्ता प्राप्ति कराने वाली देवी विराजमान है।
बिजासन माता मंदिर (सलकनपुर)- शक्तिपीठ जो 800 फुट ऊंचे पहाड़ पर स्थित है। यहां माता ने राक्षस रक्तबीज का वध किया था।
मां बगलामुखी मंदिर (नलखेड़ा): यहां तीन मुखों वाली माता विराजमान है, जिसकी स्थापना श्री कृष्णा के कहने पर युधिष्ठिर ने की थी।
चामुंडा देवी मंदिर (देवास) - इसे रक्त शक्तिपीठ और अर्ध शक्तिपीठ कहा जाता है। एक मान्यता के अनुसार यहां माता सती का रक्त गिरा था।
मंढेर की माता (ग्वालियर)- कैंसर पहाड़ी पर स्थित 140 साल पुराना मंदिर।यहां विराजमान माता सिंधिया राजघराने की कुल देवी है।