भोपाल

सीएम बनते-बनते रह गए थे सिंधिया


Avantika Pandey

1 January 2025

मध्यप्रदेश की सियासत के महाराज कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया आज 54 साल के हो गए है।

इनका जन्म 1 जनवरी, 1971 को मायानगरी मुंबई में हुआ था। कांग्रेस पार्टी के जरिए अपना पॉलिटिकल सफर शुरू करने वाले महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में मोदी कैबिनेट में 43वें केंद्रीय संचार मंत्री हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक सफर आसान नहीं रहा। पिता के निधन के बाद सिंधिया ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा था। एक राजनेता के रूप में सिंधिया को दो बड़े घाव सहन करने पड़ें, जिसकी चोट का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

पिता माधवराव सिंधिया की मृत्यु के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की टिकट पर एमपी के गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

एमपी में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सिंधिया एक बड़ा चेहरा बनकर उभरें।भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में पूरे 15 सालों के बाद कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की।

कांग्रेस की जीत के वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya Scindia Bithday) का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा था लेकिन किसे मालूम था कि सिंधिया को सीएम पद नहीं बल्कि राजनीति का सबसे बड़ा झटका लगने वाला है।

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमलनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। ये सिंधिया के पॉलिटिकल करियर में मिला पहला सबसे बड़ा घाव था।

विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस पार्टी के बीच दरार की बड़ी वजह बनी। सिंधिया और पार्टी के कई सीनियर नेताओं के बीच धीरे-धीरे दूरियां बढ़नें लगी।

साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान गुना-शिवपुरी सीट से सिंधिया को टिकट दिया गया। चुनावी मैदान में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा। ये सिंधिया के राजनीतिक जीवन का दूसरा सबसे बड़ा झटका था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के जीवन में हुए ये दो बड़े राजनीतिक हलचल ने मध्यप्रदेश की राजनीति ही बदल दी। साल 2020 में सिंधिया ने सबसे बड़ा फैसला लेते हुए कांग्रेस पार्टी से मुंह मोड़ लिया। वें कांग्रेस से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कई विधायकों ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसका भयानक परिणाम हुआ, कमलनाथ सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा।

इस पूरी घटना के बाद एमपी की सियासी तस्वीर बदल गई। शिवराज सिंह चौहान फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए और ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya Scindia Bithday) को मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री बनाया गया।