इससे(Air Pollution in MP) हर साल 1 लाख से ज्यादा लोगों को दिल-फेफड़ों से जुड़ी बीमारी हो रही है।
वायु प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्यप्रदेश में भी हालात अच्छे नहीं हैं। शोध में पता चला है कि 43 साल में मप्र में 140% प्रदूषण बढ़ा है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों से 9% ज्यादा प्रदूषण है। आइआइटी इंदौर(IIT Indore)के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. मनीष कुमार गोयल व टीम ने 1980 से 2023 तक के आंकड़ों का विश्लेषण कर यह खुलासा किया है।
शोध के अनुसार, पीएम 2.5 सूक्ष्म प्रदूषक कणों फेफड़ों में जाकर हृदय, फेफड़ों व तंत्रिका तंत्र पर गंभीर असर डाल सकते हैं। प्रो. मनीष ने बताया, मप्र में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन से 9 गुना ज्यादा है।
ऐसे कम होगा प्रदूषण ...फैक्ट्रियों और उद्योगों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाएं।
एलपीजी, इलेक्ट्रिक और अन्य स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा। साथ ही शहरों में अधिक पेड़-पौधे लगाएं।