डिजिटल अरेस्ट ऑनलाइन ठगी का एक नया तरीका है। इसके जरिए इंदौर के कई बड़े लोगों को लाखों-करोड़ों रुपए का चूना लग चूका है। ऐसे करें डिजिटल अरेस्ट की पहचान
डिजिटल अरेस्ट के मामले में शिकार के पास फोन कॉल आता है, जिसमे उनके या फिर उनके किसी परिजन का अवैधानिक कामों( ड्रग, मनी लॉन्ड्रिंग, महिला उत्पीड़न, सेक्स रैकेट आदि) में फंसे होने की बात कहकर गिरफ्तार करने की धमकी दी जाती है।
डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए लोगों को नकली ऑफिसर आईडी, पुलिस स्टेशन या फिर सीबीआई ऑफिस का माहौल दिखाकर यकीन दिला दिया जाता है कि ये पूरी कार्रवाई असली है।
ठग डिजिटल अरेस्ट के दौरान अपने शिकार को पूरे समय उनका फोन कैमरा और माइक्रोफोन चालू रखने के लिए कहा जाता है ताकि वह उन्हें गिरफ़्तारी की धमकी दे देकर उनके मन में डर पैदा करते रहे।
गृह मंत्रालय के अनुसार, ‘ ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को मदद के लिए तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर मामले की जानकारी देनी चाहिए। इसके आलावा www.cybercrime.gov.in पर घटना की रिपोर्ट करना चाहिए।’