तेज आवाज से तनाव, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी और हाई बीपी बढ़ रहा।
डॉ. नवीन दुल्हानी के अनुसार शोर का सीधा असर नर्वस सिस्टम और हृदय पर पड़ता है।
छोटे बच्चे और बुजुर्ग अधिक संवेदनशील, स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है।
यातायात पुलिस की जागरूकता कार्रवाई प्रभावी नहीं, हार्न लगाने वालों पर ठोस कदम नहीं।
दो- और चारपहिया वाहन चालक दोनों प्रेशर हार्न का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं।
सड़क पर आवाज़ 55–65 डेसिबल होनी चाहिए, हार्न 90–110 डेसिबल तक पहुंच जाता है, कान और दिमाग के लिए खतरनाक।