धार्मिक स्थल के साथ ही यह छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्यटक स्थल बन चुका है।
मंदिर की अविस्मणीय कलाकृति को देखने के लिए अन्य राज्यों के अलावा विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं।
Bhoramdev Temple: भोरमदेव का पूरा क्षेत्र चौरा ग्राम शिवलिंग से आवासित है।
मुख्य मन्दिर के भीतर गर्भगृह में स्थित शिवलिंग हाटकेश्वर शिवलिंग है जो सर्व मनोकमना पूर्ण करते हैं। अब शिवलिंग को चांदी से ढंक दिया गया है।
भोरमदेव मंदिर में उत्तर भारत के मध्ययुगीन मंदिरों की विशेषता है। यह मंदिर खजुराहो के समकक्ष है।
नागवंशी सामंत राजा गोपालदेव द्वारा निर्मित यह मंदिर अपराजित सूत्रधार के आधार बनाया गया है।
बाहृय भाग में उभरे हुए छज्जे, मुखमंडप और पिरामिड आकार के शिखर आदि है। इसके उत्तर भाग में भैरव सहित कई मूर्तियां हैं।
दक्षिण भाग में हनुमानजी, गणेशजी की मूर्तियुक्त चबूतरा है। मंदिर के तीन दिशाओं के अंदर अर्धमंडप है। पूर्वाभिमुख, उत्तराभिमुख और दक्षिणाभिमुख।
इन तीन मंडपों में प्रवेश द्वार है। इन मुखों से मंदिर में प्रवेश किया जा सकता है।