ब्रज में होली लगभग 40 दिनों तक मनाई जाती है और इन दिनों कई तरह की होली खेलने का रिवाज होता है, जो कृष्ण की लीलाओं की कहानियों से जुड़ा होता हैं।
दाऊजी का हुरंगा: पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता हैं कि कृष्ण जी औरत के वेश धारण कर यमुना नदी में स्नान कर रही सखियों के कपड़े चुरा लिए थे। तभी से महिलाएं पुरुषों को रंग लगाकर उनके कपड़े खींचकर होली मनाती है।
लड्डू मार होली: ब्रज की यह होली तब शुरू हुई जब श्री कृष्ण राधा और गोपियों के साथ होली खेलने के लिए बरसाना गए थे। इस दिन रंगों की जगह लड्डुओं की बौछार होती है।
कीचड़ की होली- मथुरा के कुछ गांवों में लोग एक-दूसरे पर कीचड़ डालकर होली खेलते हैं। यहां के लोग इसे शुभ मानते है।
फूलों वाली होली: वृंदावन और उसके आस-पास के गांवों में फूलों वाली होली मनाया जाता है। कृष्ण को खुश करने के लिए फूलों से होली खेली जाती है।
लट्ठमार होली: इसके बारे में ऐसा कहा जाता हैं कि यह तब शुरू हुई थी जब श्री कृष्ण और राधा गोपियों के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आए थे। उसी समय से बरसाना की महिलाएं कृष्ण और उनके साथियों को लाठियों से भगाने की परंपरा निभाती हैं।