'गुलाल गोटे' की होली का इतिहास राजा-महाराजाओं के समय से जुड़ा हुआ है तब से ही गुलाल गोटा से शाही होली खेलने का रिवाज है।
यह परंपरा 400 साल पुरानी है जब तत्कालीन शाही परिवार के सदस्य गुलाल गोटे से होली खेलते थे।
गुलाल गोटे की होली खेलना राजा और उनके राज्य के लोगों के बीच आपसी सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक माना जाता था।
यह परंपरा आज भी कई शाही परिवारों में जीवित है।
गुलाल गोटा जयपुर में मुस्लिम लाख निर्माताओं द्वारा बनाया जाता है, जिन्हें मनिहारों के नाम से जाना जाता है।
जयपुर में बने इस गुलाल गोटे की मांग मथुरा-वृंदावन से लेकर ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और इंग्लैंड तक है।
विशेष रूप से विदेशी पर्यटक गुलाल गोटे को बहुत पसंद करते हैं।
ये छोटे गोल आकार के गेंदें, जो प्राकृतिक रंगों से भरी होती हैं, 'गुलाल गोटा' के नाम से जानी जाती हैं।