मानव जीवन सत्य के मार्ग के लिए है, अच्छे बनो, माता-पिता की सेवा करो, बीमारों की सेवा करो, और जरूरतमंदों की मदद करो, यही मानव जीवन है।
मथुरा के संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि इस बात पर ध्यान मत दीजिए कि कौन क्या कर रहा है, बल्कि इस बात पर ध्यान दीजिए कि हमें कहां सुधार करना है।
क्रोध को शांत करने का एकमात्र तरीका यह है कि हम अपना ध्यान दूसरी ओर लगा दें: दूसरों का हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, इस पर विचार करने के बजाय हमें यह सोचना चाहिए कि उनके प्रति हमारा क्या कर्तव्य है।
आपकी आस्था, आपका भरोसा, आपका विश्वास और आपका चिंतन ही आपका कल्याण कर सकता है। अगर आपका आचरण अनैतिक है तो कोई भी आशीर्वाद काम नहीं करेगा।
इस भौतिक संसार में, किसी के पास आपको थामे रखने की शक्ति नहीं है; यह आप ही हैं जो चिपके रहते हैं, और अंततः आपको ही छोड़ना पड़ता है।