अखाड़ा नाम सुनते ही मन में कुश्ती की तस्वीर आती है लेकिन साधु-संतों के संदर्भ में अखाड़े एक तरह से हिंदू धर्म के मठ कहे जा सकते हैं।
अखाड़ा साधुओं का वह दल होता है जो शस्त्र विद्या में निपुण होता है।
अखाड़ों की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी।
अभी कुल 13 अखाड़े हैं, जिन्हें 3 कैटेगरी शैव, वैष्णव और उदासीन में बांटा गया है।
शैव अखाड़े- शैव संप्रदाय के कुल सात अखाड़े हैं। इनके अनुयायी भगवान शिव की पूजा करते हैं।
वैष्णव अखाड़े - वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े हैं, जो भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करते हैं।
उदासीन अखाड़े - उदासीन संप्रदाय के भी तीन अखाड़े हैं, इस अखाड़े की अनुयायी 'ॐ' की पूजा करते हैं।
श्री पंचदशनाम जूना आखाड़ा को शैव संप्रदाय का सबसे बड़ा अखाड़ा माना गया है। महा इसकी स्थापना उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में 1145 में हुई।