साल में दो से तीन बार कोसा फल की तुड़ाई की जाती है। इसकी प्रक्रिया बेहद जटिल है।
पहले कोसा की तितलियां अंडे देती हैं। इन अंडों से लार्वा निकलते हैं । यह लार्वा अपने बचाव के लिए चारों ओर रेशे बुनते जाते हैं।
बस्तर में कोसा से रेशे बनाना महिलाओं की आजीविका का बड़ा जरिया है।
अपने कुकुन से तितली बनकर बाहर निकल आते हैं। इन्हीं कुकुन यानि कोसा फल के भीतर से रेशे निकालने की प्रक्रिया की जाती है।
कुछ माह पहले ही अयोध्या में श्री राम लला के परिधान में भी बस्तर के कोसा से बुने गए थे।