बताया जाता है कि निषाद समाज के पूर्वजों ने इस मंदिर की स्थापना श्रम दान एवं मृत्यु भोज की राशि को मंदिर के लिए दान में देकर किया है।
CG News: इस मंदिर के निर्माण में केवल पत्थरों का ही उपयोग हुआ है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए बड़े पत्थरों से सीढ़ियां बनाई गई है।
मंदिर का लोकार्पण 29 फरवरी 1984 में संत पवन दीवान की उपस्थिति में हुआ था।
बरसात में यह मंदिर जलमग्न रहता है। यहां 1940.35 लाख रुपए की लागत से लक्ष्मण झूला का निर्माण अंतिम चरण में है।
बताया जाता है कि इस वर्ष शिवरात्रि पर इसका लोकार्पण होना था लेकिन कुछ काम बाकी होने के कारण टाल दिया गया।