मठ में निवास करने वाले नागा साधु अपनी रक्षा के लिए शस्त्र रखते थे।
दशहरा के दिन सभी शस्त्रों को मठ से निकालकर पूजा-अर्चना की जाती है।
मठ में तीर, धनुष और त्रिशूल जैसे शस्त्र रखे हैं, जो 1000 वर्ष से अधिक पुराने हैं।
दर्शन के बाद एकादशी के दिन फिर से पूजा करके मठ को बंद कर दिया जाता है।
दशहरा के दिन सभी शस्त्रों को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखे जाते हैं।