हमारी आदत बन गई है प्लास्टिक कैरी बैग मांगने की।
कागज-कपड़े की थैली तो नई पीढ़ी को मालूम ही नहीं है।
कचरे में मवेशी खाने के साथ प्लास्टिक बैग भी निगल रहे हैं।
गौवंश की मृत्यु का कारण बन रहा है प्लास्टिक।
हजारों में से कुछ ही दुकानें होंगी, जो प्लास्टिक बैग न देता होगा।
रास्तों में सामान बेचने वाले इसका खूब उपयोग कर रहे हैं।